Friday, November 27, 2015
Saturday, November 14, 2015
अशक्त की सुध
समाज का अशक्तों के प्रति भेदभाव का रवैया छिपा नहीं है। सरकारी स्तर पर भी इनके लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में अभी तक कोई उल्लेखनीय प्रगति नजर नहीं आती। स्थिति यह है कि बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों, स्कूलों, सार्वजनिक भवनों आदि में विकलांगों को ध्यान में रख कर न तो समुचित सीढ़ियां बनाई गई हैं और न उनके सुगम आवागमन का ध्यान रखा गया है। अक्सर पांवों से लाचार लोगों को घिसट कर ऊंचे भवनों में चढ़ते देखा जाता है। जो लोग हाथ वाली साइकिलों पर चलते-फिरते हैं, उनके लिए रैंप नहीं बने होते।
उनके लिए बसों में चढ़ना-उतरना तो खासा तकलीफदेह होता है। इसी तरह सार्वजनिक स्थलों पर दृष्टि-बाधित जन रास्ता भटकते, ठिकाना तलाशते देखे जाते हैं। ब्रेल का उपयोग न किए जाने से भी इन लोगों को बहुत सारी सूचनाएं उपलब्ध नहीं हो पातीं। इन तमाम समस्याओं के मद्देनजर केंद्र सरकार का सुगम्य भारत अभियान निस्संदेह सराहनीय पहल है। इस अभियान के तहत देश भर में अड़तालीस सौ महत्त्वपूर्ण इमारतों, सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड््डों, पचहत्तर रेलवे स्टेशनों, पच्चीस फीसद सार्वजनिक बसों और तीन हजार जन-केंद्रित वेबसाइटों को अगले साल जुलाई तक विकलांग-अनुकूल सेवाओं में बदलने का लक्ष्य तय किया गया है। अड़तालीस शहरों में कम से कम सौ महत्त्वपूर्ण इमारतों की जांच करके अगले साल के अंत तक उनमें सुगम्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का इरादा जताया गया है।
भारत में कुल निशक्त जनों की संख्या करीब दो करोड़ अड़सठ लाख है। इनके लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है। मगर उनकी पहली जरूरत आवागमन और कामकाज के अनुकूल सुविधाओं की है, जिसके प्रति संस्थानों में शिथिलता का भाव ही नजर आता है। अव्वल तो पढ़ाई-लिखाई के स्तर पर ही इन लोगों के प्रति भेदभाव दिखने लगता है। प्राय: स्कूलों में ऐसे लोगों को ध्यान में रख कर न तो सीढ़ियां बनाई जाती हैं, न लिफ्ट आदि की सुविधा होती है। जो बच्चे पोलियोग्रस्त होते हैं या किसी वजह से उन्हें बैसाखी लेकर या पहिएदार साइकिल से चलना पड़ता है, उनके लिए स्कूल आना-जाना किसी यातना से कम नहीं होता। तमाम आपत्तियों के बावजूद बसों के पायदान की ऊंचाई निशक्त जनों के अनुकूल नहीं बनाई जा सकी है।
नेत्रहीनों के लिए लिफ्ट, सार्वजनिक सूचना पटल आदि पर ब्रेल में सूचनाएं मुहैया कराई जानी चाहिए, मगर जब आज तक ब्रेल में समुचित पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पातीं, उन्हें पढ़ाने-लिखाने के लिए प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी को दूर नहीं किया जा पा रहा, तो बाकी मामलों में भला क्या उम्मीद की जा सकती है! इन अभावों के चलते ज्यादातर नेत्रहीन बच्चों को विशेष स्कूलों की शरण लेनी पड़ती है। ये स्कूल हर शहर में उपलब्ध नहीं हैं। थोड़े-से साधन-संपन्न ही उनका लाभ उठा पाते हैं। अशक्तों के लिए सुविधाओं की कमी और उनके प्रति उपेक्षा भाव के चलते बहुत सारे ऐसे बच्चे आरंभिक शिक्षा तक नहीं हासिल कर पाते हैं। जो विकलांग जन रोजगार के अवसर पा भी जाते हैं, वे कार्यस्थलों पर रोजमर्रा की असुविधाएं झेलने को मजबूर होते हैं। ऐसे में सुगम्यता अभियान की अहमियत जाहिर है। सवाल यह है कि क्या वाकई यह बताई गई समय-सीमा में लक्ष्य तक पहुंच पाएगा!
स्वर्णिम योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को तीन स्वर्ण योजनाएं घोषित कीं। मकसद है, देश में अनुुपयोगी पड़े सोने के वित्तीय उपयोग का रास्ता निकालना और इस तरह देश में पूंजी-प्रवाह बढ़ाना। जाहिर है, यह अर्थव्यवस्था को और गतिशील बनाने की कवायद है। अलबत्ता ऐसी पहल बिल्कुल नई नहीं है। लेकिन पहले की स्वर्ण जमा योजना से कई मायनों में कुछ फर्क है। जमा किए गए सोने पर पहले एक फीसद का मामूली ब्याज मिलता था। इसके अलावा, सोने की मात्रा कम से कम आधा किलो होना अनिवार्य था। नई योजना में न्यूनतम तीस ग्राम सोना भी जमा किया जा सकता है। इस पर सवा दो से ढाई फीसद तक ब्याज मिलेगा। इस तरह सोना जमा करने की योजना को पहले के मुकाबले और आकर्षक बनाने की तजवीज की गई है। न्यूनतम मात्रा यह सोच कर काफी घटा दी गई है कि यह आम लोगों के लिए भी उपयोगी हो सके।
हमारे देश के लोगों में सोने की चाहत बहुत प्रबल है। पुश्तों से यह बचत की पूंजी जमा करने और सुरक्षित निवेश का सबसे आसान जरिया माना जाता रहा है। चीन के लोगों में भी सोने की जबर्दस्त ललक रही है। इसलिए चीन और भारत, दोनों देश सोने के आयात में सबसे आगे रहे हैं। चीन पहले स्थान पर था, पर अब भारत ने उसे पीछे छोड़ दिया है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने भी जिक्र किया, इस साल अब तक चीन का सोने का आयात पांच सौ अड़तालीस टन रहा, जबकि भारत का इससे चौदह टन ज्यादा। लेकिन सोने का इतना अधिक आयात हमारी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात नहीं है, क्योंकि इससे हमारे विदेशी मुद्रा भंडार का एक बड़ा हिस्सा गैर-उपयोगी मद में चला जाता है। हमारी विदेशी मुद्रा पेट्रोलियम के बाद सबसे ज्यादा सोने के आयात की ही भेंट चढ़ती है।
नई योजनाएं इसी मकसद से शुरू की गई हैं कि देश में अनुपयोगी पड़े सोने को पूंजी प्रवाह में बदला जा सके, और दूसरा, सोने का आयात घटाया जा सके। स्वर्ण मुद्रीकरण यानी जमा किए गए सोने पर ब्याज की सुविधा के साथ ही सरकार ने अशोक चक्र और महात्मा गांधी के चित्र वाले पांच ग्राम तथा दस ग्राम के सिक्के शुरू कर लोगों को निवेश का एक और विकल्प दिया है। इसी के साथ स्वर्ण बांड योजना भी शुरू की गई है जिसके तहत दो ग्राम सोने से अधिकतम पांच सौ ग्राम सोने तक के बराबर बांड खरीदने का विकल्प होगा। अनुमान है कि देश में करीब बीस हजार टन सोना अनुपयोगी रूप से जमा है जिसका आधा या आधे से अधिक हिस्सा लोगों के पास गहनों की शक्ल में है।
मंदिरों के पास सोने का जो विशाल भंडार है वह भी ज्यादातर गहनों के रूप में है। ये गहने लोगों के लिए अचल पूंजी के साथ-साथ पारिवारिक विरासत की निशानी भी होते हैं। मंदिरों के मालिकाने वाले बहुत सारे आभूषण ऐतिहासिक महत्त्व के भी होंगे। इसलिए यह निश्चित अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि कितनी संस्थाएं और लोग अपने सोने की पहचान मिटने यानी आभूषणों को गलाने की इजाजत देंगे। हां, ढाई प्रतिशत तक ब्याज की सुविधा और फिर एक निश्चित अवधि के बाद अपने जमा किए गए सोने को उतनी ही मात्रा में वापस पाने का प्रावधान बहुत-से जरूरतमंद लोगों के लिए मददगार साबित होगा, वहीं बहुत-से लोगों के लिए बेहतर निवेश का जरिया भी। पर एक अंदेशा है कि कहीं यह काले धन को सफेद करने का जरिया भी न बन जाए।
वेदों के अनुसार वास्तविक गोवर्धन पूजा
वेद के अनेक मंत्रों में गोदुग्ध से शरीर को शुद्ध, बलिष्ठ और कान्तिमान् बनाने का वर्णन मिलता है। इससे सिद्ध होता है कि वैदिक गृहस्थ को गौ और उसके द्वारा दिए गए दूध आदि पदार्थ कितने अधिक प्रिय हैं। हम वेदादि शास्त्रों में यह पाते हैं कि न केवल प्रत्येक गृहस्थ अपने लिए परमेश्वर से गोधन की याचना करता है अपितु यजुर्वेद के एक मंत्र में सम्पूर्ण राष्ट्र के निवासिओं के लिए गोधन की प्रार्थना की गई है-‘‘आ ब्रह्मन ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायातामा राष्ट्रे राजन्य:’’
इस मंत्र का विनियोग शतपथ ब्राह्मण में किया गया है। अध्वर्यु इस मंत्र के द्वारा अश्वमेध करने वाले सम्राट के राष्ट्र में अभ्युदय की प्रार्थना परमेश्वर कर रहा है। वह कहता है- ‘‘हे परमेश्वर! इस राष्ट्र में ब्रह्मतेज वाले ब्राह्मण उत्पन्न हों, शस्त्र चलाने में निपुण, दूर का निशाना बींधने वाले, महारथी, शूर क्षत्रिय हों, दूध देने वाली गौएँ उत्पन्न हों, भार उठाने में समर्थ बैल हों, शीघ्रगामी घोड़े हों, नगरो की रक्षा करने वाली स्त्रियां हों, इस यजमान के पुत्र विजयी, रथारोही, सभाओं में जाने योग्य और युवा हों, जब-जब हम चाहें तब-तब बादल बरसा करें, अनाज फल वाले होकर पका करें, हमें अलब्ध ऐश्वर्य की प्राप्ति करें और हमें प्राप्त की रक्षा का सामथ्र्य मिले।’’ उपरोक्त मंत्र में राष्ट्र के अभ्युदय के लिए दूध देने वाली गौओं की प्राप्ति अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी गई है। ऋग्वेद के षष्ठं मण्डल के अ_ाइसवें सूक्त में आठ मंत्र हैं। पहले मंत्र में कहा गया है-
आ गावो अग्नमन्नुत भद्रमक्रन्त्सीदन्तु गोष्ठे रण्यन्त्वस्मे।
प्रजावती: पुरुरूपा इह स्युरिन्द्राय पूर्वीरुषसो दुहाना:।।
अर्थात् गौएँ आवें और हमारे गोष्ठ अर्थात् गौओं के रहने के स्थान में बैठें अर्थात् रहें और हमारे लिए मंगल करें। हम में रहती हुई रमण करें अर्थात् आनन्दपूर्वक रहें। यहां हमारे घर में ये गौएँ सन्तानों वाली हो कर बहुत रूपों वाली अर्थात् अनेक प्रकार की होती रहें और इस प्रकार सम्राट के लिए बहुत उष: कालों अर्थात् दिनों तक दूध देने वाली बनी रहें।
दूसरेे मंत्र में कहा गया है-
इन्द्रो यज्वने पृणते च शिक्षत्युपेद् ददाति न स्वं मुषायति।
भूयोभूयो रयिमिदस्य वर्धयन्नभिनने खिल्ये नि दधाति देवयुम।।
अर्थात् सम्राट राज्य संगठन के लिए अपना भाग दान करने वाले ओर इस प्रकार राज्य की आवश्यकताओं की तृप्ति करने वाले के लिए समीप पहुंच कर अपनी रक्षा देता है। उसके गोधन को अपहरण नहीं करता या नहीं होने देता है। इसके गोधन को बार-बार बढ़ाता हुआ सम्राट रूप देव को अर्थात् राज्य के भले को चाहने वाले को अभेद्य स्थान में रखता है। क्योंकि यहां पर गौओं का प्रसंग चल रहा है, इसलिए रयि शब्द का अर्थ गोधन समझना चाहिए।
तीसरेे मंत्र में कहा गया है-
न ता नशन्ति न दभाति तस्करो नासामाममित्रो व्यथिरा दधर्षति।
देवांश्च याभिर्यजते ददाति च ज्योगित् ताभि: सचते गोपति: सह।।
अर्थात् वे गौएँ नष्ट नहीं होतीं, चोर उन पर प्रहार नहीं करता, शत्रु का पीड़ा देने वाला शस्त्रादि इनका घर्षण नहीं करता और यह गौओं का रक्षक पुरुष जिनके द्वारा, जिनसे दुग्ध घृत आदि से देवयज्ञ करता है और दान कर पाता है, उन गौओं के साथ चिरकाल तक ही समवेत होता है। इन गौओं के द्वारा उसके सब यज्ञ ठीक प्रकार चलते हैं।
उक्त तीन मंत्रों से हमें निम्न शिक्षाएं मिलती हैं-
- प्रत्येक गृहस्थ को अपने घर में गोष्ठ अथवा गौओं के रहने का स्थान अवश्य बनाना चाहिए।
- गौ पालने वालों को गौओं की उत्तमोत्तम सन्तान अर्थात् बछड़े और बछडिय़ां तैयार करने चाहिएं, जिनसे पहले की अपेक्षा अधिक दूध और मक्खन उत्पन्न हो।
- जिस प्रकार घर के मनुष्य मिल कर आनन्द से रहते हैं, उसी प्रकार गौएँ भी हम में मिल कर आनन्द से रहें। हम अपने लिए जो आराम चाहते हैं, उसी प्रकार के आराम का प्रबन्ध गौओं के लिए भी करें।
- गौओं को सम्राट द्वारा रक्षा प्राप्त होने से वे नष्ट नहीं होने पातीं हैं।
- किसी की गौ को चोर नहीं चुरा सकते हैं और शत्रु लोग उनको किसी प्रकार की पीड़ा नहीं दे सकते हैं।
- गोपति को अपनी गौओं से सदा देवों का यजन और अतिथि सत्कार करते रहना चाहिए।
प्रजावती: सूयवसं रिशन्ती: शुद्धा अप: सुप्रपाणे पिबन्ती:।
मा व: स्तेन ईशत माघशंस: परि वो हेती रुद्रस्य वृज्या:।। (ॠ7)
अर्थात् उत्तम घास को खाती हुई, उत्तम पानी पीने के स्थानों में निर्मल जल पीती हुई, हे गौओं! तुम पुत्र-पौत्रों से युक्त हो कर रहो। चोर और पाप करने वाला पुरुष तुम पर प्रभुता न कर सके। परमात्मा का प्रहरण तुम्हें छोड़े रखे अर्थात् तुम शीघ्र न मरो, प्रत्युत दीर्घ आयु वाले होओ।
उक्त मंत्र से हमें निम्न शिक्षाएं मिलती हैं-
- गौओं को खाने के लिए दिया जाने वाला घास उत्तम होना चाहिए।
- उनके पीने का पानी भी स्वच्छ होना चाहिए।
- हमें अपनी गौवों की चोर-डाकुओं से रक्षा करनी चाहिए।
- गौवों की दूध देना बन्द करने के बाद भी सेवा और रक्षा करते रहना चाहिए।

वेद में गौहत्या का विरोध-
वेद में अनेक स्थानों पर गौ को ‘अघ्न्या’ कहा गया है। यजुर्वेद (ॠ13.43) में कहा गया है-‘‘गां मा हिंसी’’ अर्थात् गौ की हिंसा मत करो। ऋग्वेद के एक मंत्र में कहा गया है-
माता रुद्रणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानामृतस्य नाभि:।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामदितिं वधिष्ट।। (8.1?1.15)
अर्थात् गौ राष्ट्र के रुद्र और आदित्य ब्रह्मचारी रह कर विद्या प्राप्त करने वाले प्रजाजनों की माता, पुत्री और बहिन है। इस मंत्र का भावार्थ यह है कि प्रजाजनों को गौ के साथ माता, पुत्री और बहिन के समान प्रेम भाव रखना चाहिए। गौ अमृत की नाभि अर्थात् केन्द्र है क्योंकि उससे अमृत जैसे गुणों वाला दूध प्राप्त होता है। मैं परमात्मा, ज्ञानवान् पुरुषों को आज्ञा देता हूँ कि वे निष्पाप और कभी न काटी जाने योग्य गौ को न मारें।
गोदुग्ध से सब शक्तियों का विकास-
अथर्ववेद के तृतीय काण्ड के चैदहवें सूक्त में छ: मंत्र हैं जिनमें गृहस्थियों द्वारा किस प्रकार गायों का पालन किया जाए इस पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। कहा गया है कि गौओं का निवास स्थान साफ-सुथरा हो, पानी और घास भी शुद्ध हो। गोदुग्ध का प्रयोग हमें ‘अर्यमा, पूषा, बृहस्पति व इन्द्र’ बनाता है। यह हमारे जीवन में वसुओं का पोषण करता है। यह भी कहा गया है कि गौओं को किसी प्रकार का भय प्राप्त न हो। वे सब प्रकार के रोगों से रहित हों। ऐसी गौएँ शान्ति देने वाला मधुर दुग्ध प्राप्त कराती हैं। गौओं के लिए गोष्ठ सुखद हों। इन गोष्ठों में रहने वाली गौवें शालिधान्य की शक्ति की भांति हमें शक्ति प्राप्त कराने वाली हों।
गोमूत्र और गोबर का उपयोग-
गौ का केवल दूध ही नहीं अपितु गोमूत्र और गोबर भी अत्यंत लाभदायक है। गोमूत्र से अनेक रोगों का उपचार किया जा सकता है। गोमूत्र से यकृत के रोग, बवासीर, जलोदर, उदावर्त, चर्मरोग, शोथ, उदर-कृमि, हृदय रोग आदि का उपचार किया जाता है।
गोबर शोधक, दुर्गन्धनाशक, सारक, शोषक, बलवर्धक और कान्तिदायक है। आयुर्वेदीय ग्रन्थों में पंचगव्य-घृत का चिकित्सा की दृष्टि से बहुत महत्त्व माना गया है। पंचगव्य-घृत के सेवन से उन्माद, अपस्मार, शोथ, उदररोग, बवासीर, भगंदर, कामला, विषमज्वर, और गुल्म आदि का उपचार किया जाता है। सर्पदंश के विष को नष्ट करने हेतु भी यह उत्तम औषधि मानी गई है। भूमि की उर्वरता और उत्पादन शक्ति बनाय रखने के लिए उत्तम खाद की आवश्यकता होती है। वृद्ध हो जाने अथवा रोग के कारण गाय यदि दूध और बछड़े देने योग्य न रहे, ऐसी स्थिति में भी जब तक वह जीवित रहती है गोबर के रूप में खाद देती रहती है।
एक वैज्ञानिक डा0 बॉयलर जो अंग्रजी शासन काल में भारतीय कृषि की जांच करने आए थे, ने गाय के गोबर का विश्लेषण करके बताया है कि भारत में गोवंश से प्राप्त होने वाले गोबर से ही एक करोड़ रुपये के मूल्य की खाद प्रतिदिन प्राप्त हो सकती है। आज के मूल्यों को देखते हुए यह धनराषि कम से कम 100 करोड़ रुपये प्रतिदिन से अधिक की होगी। कृत्रिम रासायनिक खाद से भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्रास होता है और अन्ततोगत्वा वह बंजर भूमि में परिवर्तित हो जाती है। इसलिए गोबर की खाद कृषि के लिए अत्यंत लाभदायक है।
वेदों के अनुसार वास्तविक गोवर्धन पूजा
वैदिक ऋषियों ने कहा है-‘‘गावो विश्वस्य मातर:’’ अर्थात् गौएँ विश्व की माता के तुल्य हैं। ये विश्व का पोषण करने वाली हैं। हम प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी, आज के पावन दिन को गोवर्धन पूजा दिवस के रूप में मना रहे हैं। हमारी वास्तविक गोवर्धन पूजा तभी सम्भव होगी जब हम गाय को बूढ़ी हो जाने पर भी माता के समान आजीवन उसकी सेवा करते हुए किसी कसाई के हाथों नहीं बेचेंगे और न बिकने देंगे और हम वेदादि शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुकूल गोसेवा और गोरक्षा करते हुए उनका संवर्धन करेंगे।
आधार व पेन नंबर की जानकारी फीड कराना अनिवार्य
भोपाल : शुक्रवार, नवम्बर 13, 2015, 17:15 IST | |
जिला कोषालय अधिकारी ने बताया कि राज्य शासन के वित्त विभाग द्वारा सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के आधार नंबर तथा पेन नंबर की जानकारी कोषालय के साफ्टवेयर में फीड कराना अनिवार्य है। इसके अभाव में वेतन आहरण नही किया जावेगा। उन्होने बताया कि जिन आहरण एवं संवितरण अधिकारियों ने अभी तक अपने अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों के आधार नंबर व पेन नंबर की जानकारी फीड नही कराई है, वे तत्काल उक्त जानकारी साफ्टवेयर में फीड कराए, अन्यथा आगामी माह का वेतन आहरण नही हो पाएगा। विदित है कि आहरण एवं संवितरण अधिकारी सी-एस0 एस0एम0एस0 में SLIM LOGIN में रजिस्ट्रीकरण की सुविधा प्रदान की गई है।
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5 और जिले को 126 करोड़ की राहत राशि आवंटित
भोपाल : | |
प्रदेश में अवर्षा से हुई फसल हानि से प्रभावित किसानों को राहत राशि उपलब्ध करवाने के लिए जिलों से प्राप्त माँग के अनुसार आज रतलाम, भिण्ड, मुरैना, अलीराजपुर और झाबुआ जिले को आज 126 करोड़ रूपये की राशि का आवंटन जारी किया गया है।
रतलाम को 42 करोड़ रूपये, भिण्ड को 2 करोड़, मुरैना को 29 करोड़, अलीराजपुर को 20 करोड़ और झाबुआ को 33 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गई है।
उल्लेखनीय है कि गत दिवस 22 जिले को 1,049 करोड़ 24 लाख 80 हजार रूपये की राहत राशि जारी की गई थी।
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जनसंपर्क मंत्री श्री शुक्ल ने मैहर में राष्ट्रीय राजमार्ग का किया भूमि-पूजन
भोपाल : शुक्रवार, नवम्बर 13, 2015, 21:38 IST | |
जनसंपर्क, ऊर्जा और खनिज साधन मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि विन्ध्य क्षेत्र में करीब 5000 करोड़ से ज्यादा लागत की सडकें अकेले रीवा संभाग में बन रही है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की इन फोर लेन सड़कों से पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा। विन्ध्य की पहचान गौरव और भावनाओ से जुड़े विश्व के पहले व्हाईट टाईगर सफारी की स्थापना भी मुकुन्दपुर में पूर्णता की ओर है। श्री शुक्ल आज मैहर में रीवा-जबलपुर-लखनादौन राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-7 पर मैहर बायपास का भूमि-पूजन कर रहे थे। मंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि 4.75 किलोमीटर लम्बाई का मैहर बायपास 70 करोड की लागत से बनेगा। रेलवे और टमस नदी पर बडे पुल बनाये जायेंगें तथा यह मार्ग सीमेंन्ट-क्रांकीट का होगा। अध्यक्षता सांसद श्री गणेश सिंह ने की।
श्री शुक्ल ने कहा कि विन्ध्य में अधोसंरचना और फोर लेन सड़कों का अभाव रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सड़कों और अधोसंरचना के मामले में विन्ध्य को अनेक सौगातें दी हैं। बाणसागर का पानी सतना आ चुका है। बरगी का पानी आते ही यह क्षेत्र हरित क्रान्ति से सराबोर होगा। उर्जा मंत्री ने कहा कि इस मार्ग को इण्डस्ट्रियल कारीडोर घोषित किया गया है। यहाँ एग्रो आधारित उद्योग भी फलीभूत होंगे। जनसंपर्क मंत्री ने बताया कि रीवा से जबलपुर तक राष्ट्रीय राजमार्ग तक 8 से 10 बायपास बनेंगें। मैहर बायपास को शीघ्र शुरू करवाया जायेगा।
श्री गणेश सिंह ने कहा कि मैहर बायपास बड़ी उपलब्धि है। मैहर में 600 करोड़ के काम पूर्व में स्वीकृत हो चुके हैं।
पूर्व विधायक श्री नारायण त्रिपाठी ने कहा कि विकास की राह में प्रदेश के साथ ही विन्ध्य क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। कार्यक्रम को पूर्व विधायक श्री मोतीलाल तिवारी, जनपद अध्यक्ष श्रीमती अंजली कोरी, श्री रमेश पाण्डेय बम-बम महाराज, श्री रामकृपाल पटेल और यशोदा मिश्रा ने भी संबोधित किया।
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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने चौहान गृह ग्राम जैत में ग्रामवासियों को दी दीपावली की शुभकामनाएँ
भोपाल : शुक्रवार, नवम्बर 13, 2015, 14:13 IST | |
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गृह ग्राम जैत पहुँचकर ग्रामवासियों से भेंट कर दीपावली की शुभकामनाएँ दी। उन्होंने 14 लाख 85 हजार की लागत से बने ग्राम पंचायत-भवन का लोकार्पण भी किया।
श्री चौहान ने सुबह कुल देवी-देवता तथा माँ नर्मदा की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के कल्याण एवं समृद्धि की कामना की। उन्होंने जन-दर्शन के दौरान ग्रामीणों की समस्याएँ सुनी। मुख्यमंत्री ने समस्याओं के निराकरण के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये। इस मौके पर मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह एवं पुत्र कार्तिकेय चौहान भी उपस्थित थे।
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आशीष शर्मा |
पंडित नेहरू बच्चों के चेहरे पर लाली देखना चाहते थे
बाल दिवस समारोह में राज्यपाल श्री यादव
भोपाल : शनिवार, नवम्बर 14, 2015, 18:28 IST
राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने कहा है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बहुत प्यार करते थे और वह बच्चों के चेहरे पर गुलाब के फूल की तरह लाली देखना चाहते थे। इसलिए वह हमेशा गुलाब का फूल अपने कपड़ों में लगाते थे। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय पंडित नेहरू बच्चों में देश का उज्जवल भविष्य देखते थे। पं. नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे। यह बात राज्यपाल श्री यादव ने आज राजभवन में मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद्, भोपाल द्वारा आयोजित बाल-दिवस समारोह में कही।
राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर गाँधी जयंती से 14 नवम्बर नेहरू जयंती तक भारत स्वच्छता दिवस मनाने की घोषणा की है। राज्यपाल श्री यादव ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किये।
संयुक्त सचिव श्री व्ही.पी. चतुर्वेदी ने परिषद् की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर नन्हे-मुन्ने बच्चों ने राष्ट्रभक्ति पर आधारित गीत और नाटक प्रस्तुत किये।
समारोह में राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री अजय तिर्की, परिषद् के उपाध्यक्ष श्री सोमेश दयाल शर्मा, पदाधिकारी, शिक्षक और राजभवन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। परिषद् के उपाध्यक्ष श्री सोमेश दयाल शर्मा ने आभार माना।
राजेन्द्र राजपूतक्षमता विकास से होगा आर्थिक एवं सामाजिक विकास
अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह की शुरूआत
भोपाल : शनिवार, नवम्बर 14, 2015, 17:44 IST
सहकारी क्षेत्र में क्षमता विकास कार्यक्रमों से आर्थिक एवं सामाजिक प्रक्रिया तेज होगी तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह बात 62वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के शुभारंभ पर राज्य-स्तरीय सहकारी सम्मेलन में वक्ताओं ने कही। प्रमुख सचिव सहकारिता श्री अजित केसरी ने कहा कि सहकारिता के अंशधारक ही उसके मालिक होते हैं। इनके प्रति सहकारी प्रबंधन को जवाबदेह होना चाहिए।
सहकारिता में सूचना का प्लेटफार्म उपलब्ध करवाने के लिये वेबपोर्टल ई-कोऑपरेटिव बनाया गया है। सहकारी प्रबंध संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. अस्थाना, श्री एच.सी. शर्मा एवं मंजू शर्मा ने 'कौशल विकास और रोजगार' पर व्याख्यान दिया।
सम्मेलन में सहकारी समाचार के सहकारी सप्ताह विशेषांक का विमोचन किया गया। उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ल्ड वीजन की श्रीमती थामस तथा बी.एच.ई.ई. थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी भेल के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र यादव को शॉल-श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।
राजेश पाण्डेयThursday, November 12, 2015
Tuesday, November 10, 2015
वन रैंक वन पेंशन के खिलाफ रिटायर्ड कर्नल मैडल कलेक्टर को वापस करने पहुंचे भोपाल।
वन रैंक वन पेंशन के खिलाफ राजधानी के एक सेवानिवृत्त कर्नल कलेक्ट्रेट में अपने मैडल वापस करने पहुंचे। हालांकि कलेक्ट्रेट से उन्हें निराश ही लौटना पड़ा क्योंकि कलेक्टर ने यह कहते हुए उन्हें वापस लौटा दिया कि वे किसी केंद्र सरकार के जिम्मेदार अधिकारी को अपना मैडल सौंपे।
भोपाल के रिटायर्ड कर्नल वीजी कुंडालकर आज दोपहर में कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। वे वहां सर्विस के दौरान मिले मैडल कलेक्टर को लौटाने गए थे लेकिन कलेक्टर निशांत बरवड़े ने उन्हें सही अधिकारी को मैडल सौंपने की बात कहते हुए वापस कर दिया। कर्नल कुंडालकर ने बताया कि कलेक्टर ने उन्हें यह तर्क दिया कि वे तो राज्य सरकार के अधिकारी हैं और सेना केंद्र सरकार का विषय है। इसलिए वे मैडल लेने के लिए सही अधिकारी नहीं हैं। मैडल केंद्र सरकार के जिम्मेदार अधिकारी को सौंपना उचित होगा।
क्या है विरोध
कर्नल वीजी कुंडालकर का कहना है कि केंद्र सरकार ने वन रैंक वन पेंशन स्कीम को जिस स्वरूप में लागू किया है, उससे हम लोग सहमत नहीं हैं। दो बिंदु प्रमुख रूप से आपत्तिजनक है जिनमें सेएक 2013 को बेस ईयर मानने की जगह 2015 को माना जाए और पांच साल में पेंशन की समीक्षा की जगह हर साल पेंशन की समीक्षा की जाए।
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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसान और खेती को बचाने के लिये नया रोड मैप तैयार किया जायेगा। किसानों को खेती के नए रोडमैप के अनुसार खेती करने के लिये प्रेरित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सूखे की स्थिति को अवसर के रूप में लिया गया है जिससे खेती की दशा और दिशा में सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि किसानों को पूरी तरह आत्म-निर्भर बनाया जायेगा।
भोपाल स्थित प्रशासन अकादमी में 31 अक्टूबर को कृषि मंथन में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिये आगामी वर्षों के लिये गठित टास्क फोर्स के सदस्य विशेषज्ञों से चर्चा करते श्री चौहान ने कहा कि खेती के लिये सड़क, जल प्रबंधन और बिजली बहुत जरूरी थे और प्रदेश ने इन क्षेत्रों में अभूतपूर्व काम किया है। उन्होंने कहा कि एक दशक पहले जब खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने का अभियान शुरू किया था तब पंजाब को लक्ष्य बनाया था। आज हम धीरे-धीरे पंजाब के मुकाबले आ गये।
श्री चौहान ने कहा कि कहा कि सूखे और प्राकृतिक आपदाओं ने खेती को और ज्यादा सक्षम बनाने पर सोचने के लिये मजबूर किया है। उन्होंने फसल चक्र में परिवर्तन लाने पर जोर देते हुए कहा कि राज्य सरकार किसानों को हारने नहीं देगी।
श्री चौहान ने कहा कि किसानों के लिये छोटी-छोटी कई योजनाएँ चल रही हैं उन्हें नये रोडमैप में समाहित किया जायेगा। उन्होंने मध्यप्रदेश की खेती की दशा बदलने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि प्रदेश खेती को लाभकारी बनाने का उदाहरण प्रस्तुत करेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को सौ-सौ के दल में खेती के तौर-तरीके सीखने के लिये विभिन्न राज्य और विदेश में भी भेजा जायेगा।
केन्द्रीय पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के पूर्व संचालक डॉ. आर.के. पाटिल ने फसल कटाई के बाद उसके प्रबंधन तथा खाद्य प्र-संस्करण प्रौद्योगिकी के उपयोग की चर्चा की। केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल के परियोजना समन्वयक डॉ. सी.आर. मेहता ने मध्यप्रदेश में कृषि यंत्रीकरण की प्रगति की चर्चा की।
नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड मुंबई के श्री समीश शाह ने कृषि व्यवसाय अधोसंरचना विकास के महत्व पर प्रकाश डाला। टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. पंजाब सिंह, डॉ. अशोक गुलाटी और डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह ने अपने सुझाव दिये। मुख्यमंत्री ने टास्क फोर्स के सदस्यों को स्मृति-चिन्ह भी भेंट किये।
प्राचार्य कलानिकेतन पॉलीटेक्निक महाविद्यालय, जबलपुर
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रोज़गारोन्मुखी सतत शिक्षा योजनान्तर्गत प्रदेश के शिक्षित बेरोज़गार युवक युवतियों के प्रशिक्षण हेतु आवेदन पत्र आवश्यक प्रमाण पत्रों सहित दिनांक05.12.2015 तक निम्नलिखित पते पर आमंत्रित किये जाते हैं।
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सागर, दिनांक 26.10.2015 |
पैरामेडिकल पाठ्यक्रम सत्र 2015-16 में प्रवेश हेतु विज्ञापन |
काउंसलिंग की तिथि 23.11.2015 एवं 24.11.2015
शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय जबलपुर (म.प्र.) में सह चिकित्सीय परिषद भोपाल द्वारा मान्यता प्राप्त निम्नलिखित पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु दिनांक 23 एवं 24 नवम्बर 2015 को प्रधानाचार्य शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय ग्वारीघाट जबलपुर में आवेदन पत्र के साथ शुल्क एवं समस्त मूल प्रमाण पत्रों सहित उपस्थित होंवे।
क्र. | पाठ्यक्रम का नाम | अवधि | कुल सीट | योग्यता | काउंसलिंग की तिथि |
01 | फार्मेसी आयुर्वेद - डिप्लोमा | 2 वर्ष | 50 | 10+2 (हायर सेकण्डरी) परीक्षा बॉयलोजी ग्रुप से उत्तीर्ण | 23.11.2015 |
02 | पंचकर्म टेक्नीशियन प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम | 1 वर्ष | 50 | 10+2 (हायर सेकण्डरी) परीक्षा बॉयलोजी ग्रुप से उत्तीर्ण | 23.11.2015 |
03 | योगा प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम | 1 वर्ष | 50 | 10+2 (हायर सेकण्डरी) परीक्षा किसी भी विषय से उत्तीर्ण | 24.11.2015 |
आवश्यक शर्तें :- 1. आवेदन शुल्क अनारक्षित एवं पिछड़ा वर्ग हेतु रु. 300/- एवं आरक्षित वर्ग हेतु रु. 200/- देना होगा। आवेदन शुल्क/बैंक ड्राफ्ट प्रधानाचार्य शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर के नाम या नगद जमा करना अनिवार्य होगा। 2. कुल सीटों में म.प्र. शासन के नियमानुसार आरक्षण रहेगा जिसमें 10 प्रतिशत सीटे विभागीय कर्मचारियों हेतु आरक्षित है परन्तु विभागीय कम्रचारी अपना आवेदन उचित माध्यम से अग्रेषित कराके आयुक्त भोपाल से स्वीकृति पत्र लावें। 3. प्रवेश काउंसलिंग प्रक्रिया द्वारा मेरिट के आधार पर किया जावेगा काउंसलिंग दिनांक 23.11.2015 एवं 24.11.2015 को महाविद्यालय में प्रातः 10.00बजे से 02.00 बजे तक आयोजित की जावेगी।
4. प्रवेश दिनांक को न्यूनतम आयु 18 वर्ष पूर्ण होना आवश्यक है। 5. प्रवेश लेने वाले आवेदक को महाविद्यालय में म.प्र. सह चिकित्सकीय परिषद भोपाल द्वारा डिप्लोमा पाठ्यक्रम हेतु 23000/- रु. एवं प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम हेतु 18000/- रुपये के साथ महाविद्यालय द्वारा निर्धारित शुल्क रु. 3000/-भी अनिवार्य रूप से जमा करना होंगे।
6. निर्धारित योग्यता की अंकसूची म.प्र. का मूल निवासी, स्थानांतरण प्रमाण पत्र, स्वयं का फोटो तथा आरक्षित वर्ग हेतु सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति एवं आय प्रमाण पत्र लाना अनिवार्य है। 7. प्रवेश नियम निर्धारित पाठ्यक्रम एवं परीक्षा प्रक्रिया आदि म.प्र. सह चिकित्सीय परिषद भोपाल द्वारा निर्धारित नियमानुसार सम्पन्न होगी। 8. प्रवेश हेतु अनारक्षित वर्ग हेतु न्यूनतम 40 प्रतिशत एवं आरक्षित वर्ग हेतु 33 प्रतिशत प्राप्तांक आवश्यक है। 9. आरक्षित संवर्ग के छात्रों को मध्यप्रदेश शासन द्वारा समय-समय पर जारी योजनाओं का नियमानुसार लाभ देय होगा। 10. प्रवेश से संबंधित किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में प्रधानाचार्य का निर्णय अंतिम एवं बंधनकारी होगा। 11. यदि कोई अभ्यर्थी तीनों पाठ्यक्रमों हेतु आवेदन कराना चाहता है तो उसे पृथक-पृथक आवेदन करना होगा।
4. प्रवेश दिनांक को न्यूनतम आयु 18 वर्ष पूर्ण होना आवश्यक है। 5. प्रवेश लेने वाले आवेदक को महाविद्यालय में म.प्र. सह चिकित्सकीय परिषद भोपाल द्वारा डिप्लोमा पाठ्यक्रम हेतु 23000/- रु. एवं प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम हेतु 18000/- रुपये के साथ महाविद्यालय द्वारा निर्धारित शुल्क रु. 3000/-भी अनिवार्य रूप से जमा करना होंगे।
6. निर्धारित योग्यता की अंकसूची म.प्र. का मूल निवासी, स्थानांतरण प्रमाण पत्र, स्वयं का फोटो तथा आरक्षित वर्ग हेतु सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति एवं आय प्रमाण पत्र लाना अनिवार्य है। 7. प्रवेश नियम निर्धारित पाठ्यक्रम एवं परीक्षा प्रक्रिया आदि म.प्र. सह चिकित्सीय परिषद भोपाल द्वारा निर्धारित नियमानुसार सम्पन्न होगी। 8. प्रवेश हेतु अनारक्षित वर्ग हेतु न्यूनतम 40 प्रतिशत एवं आरक्षित वर्ग हेतु 33 प्रतिशत प्राप्तांक आवश्यक है। 9. आरक्षित संवर्ग के छात्रों को मध्यप्रदेश शासन द्वारा समय-समय पर जारी योजनाओं का नियमानुसार लाभ देय होगा। 10. प्रवेश से संबंधित किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में प्रधानाचार्य का निर्णय अंतिम एवं बंधनकारी होगा। 11. यदि कोई अभ्यर्थी तीनों पाठ्यक्रमों हेतु आवेदन कराना चाहता है तो उसे पृथक-पृथक आवेदन करना होगा।
विद्युत कंपनियों के कार्मिकों को तृतीय वेतनमान | |
भोपाल : मंगलवार, नवम्बर 10, 2015, 17:52 IST | |
राज्य शासन ने सभी विद्युत कंपनियों के कार्मिकों के लिए तृतीय वेतनमान मंजूर किया है। सभी विभाग में समान संवर्गों के लिए सुनिश्चित केरियर प्रोन्नयन योजना के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश की छै विद्युत कंपनियों एमपी पावर मेनेजमेंट कंपनी, पावर जनरेटिंग कंपनी, पावर ट्रांसमिशन कंपनी, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल से अंतरित कार्मिक और कंपनी कॉडर के कार्मिकों के लिए तृतीय समयमान वेतनमान समान रूप से 1 सितंबर 2015 से लागू करने की स्वीकृति दी गयी है।शासन ने तृतीय समयमान वेतनमान लागू करने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
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मंत्री-मण्डल के सदस्यों ने दी दीपावली की शुभकामनाएँ | |
भोपाल : मंगलवार, नवम्बर 10, 2015, 16:26 IST | |
राज्य मंत्री-मण्डल के सदस्यों ने दीपावली पर्व पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा है कि आशा ही नहीं, पूरा विश्वास है कि दीपावली का पर्व सभी के जीवन में खुशी और उमंग का संचार करेगा।
मंत्री श्री बाबूलाल गौर, श्री जयंत कुमार मलैया, श्री गोपाल भार्गव, डॉ. गौरीशंकर शेजवार, श्री सरताज सिंह, डॉ. नरोत्तम मिश्र, कुँवर विजय शाह, श्री गौरीशंकर बिसेन, श्री उमाशंकर गुप्ता, सुश्री कुसुम महदेले, श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, श्री पारस चन्द्र जैन, श्री अंतर सिंह आर्य, श्री रामपाल सिंह, श्री ज्ञान सिंह, श्रीमती माया सिंह और श्री भूपेन्द्र सिंह ने अपने संदेश में दीपावली की शुभकामनाएँ दी हैं।
राज्य मंत्रीगण श्री दीपक जोशी, श्री लाल सिंह आर्य, श्री शरद जैन और श्री सुरेन्द्र पटवा ने भी प्रदेशवासियों को दीपावली पर्व की शुभकामनाएँ दी हैं।
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धन तेरस पर पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक बिजली की सप्लाई | |
भोपाल : मंगलवार, नवम्बर 10, 2015, 17:48 IST | |
धन तेरस को प्रदेश में पिछले वर्ष की धन तेरस की तुलना में बिजली की सप्लाई 17 प्रतिशत अधिक हुई। वहीं प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में बिजली की मांग में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पहले प्रदेश में रबी सीजन को दृष्टिगत रखते हुए बेहतर समन्वय और कुशल प्रबंधन कर प्रदेश में माँग के अनुरूप सुचारू व गुणवत्तापूर्ण बिजली सप्लाई की गई।
एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक श्री संजय कुमार शुक्ल ने बताया कि धनतेरस को प्रदेश में 20 करोड़ 63 लाख 65 हजार यूनिट बिजली की सप्लाई की गई, जबकि पिछले वर्ष इस दिन प्रदेश में 17 करोड़ 59 लाख 35 हजार यूनिट बिजली की सप्लाई की गई थी। इस वर्ष धन तेरस के दिन बिजली की माँग में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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स्वास्थ्य बीमा योजना में लाभान्वित हुए 20 पत्रकार
भोपाल : मंगलवार, नवम्बर 10, 2015, 17:55 IST | |
संचार प्रतिनिधियों की स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना में अभी तक 20 पत्रकार ने विभिन्न अस्पताल में इलाज करवाया है। इन्हें यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा 5 लाख 48 हजार 659 रुपये की क्लेम राशि का भुगतान किया जा चुका है।
योजना में जिन पत्रकारों ने बीमा कम्पनी द्वारा चिन्हित अस्पतालों में इलाज करवाया था, उन्हें केशलेस इलाज की सुविधा मिली। इसके अलावा अन्य अस्पतालों में इलाज करवाने वाले पत्रकारों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर उनके इलाज में व्यय की गयी राशि का भुगतान किया गया।
योजना का लाभ लेने में कोई कठिनाई हो, तो पत्रकार एम.डी. इण्डिया हेल्थ केयर टीपीए के मेनेजर श्री अभिषेक शुक्ला के मोबाइल नम्बर 9300101780 एवं टोल-फ्री नम्बर 1800-233-1166 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
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जनसंपर्क मंत्री श्री शुक्ल द्वारा दीपोत्सव पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ
भोपाल : मंगलवार, नवम्बर 10, 2015, 13:26 IST | |
जनसंपर्क, ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा तथा खनिज साधन मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने रोशनी तथा खुशी के पर्व दीपावली के शुभ अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। श्री शुक्ल ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि दीपोत्सव भारतीय संस्कृति का महान पर्व है, जो हमें आपसी एकता, भाईचारा और समृद्धि का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का किसान खुशहाल और सुखी हो। साथ ही विकास का प्रकाश आम आदमी और गरीबों तक पहुँचे तथा उनके जीवन में खुशियाँ आयें।
जनसंपर्क मंत्री श्री शुक्ल ने प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और स्वस्थ जीवन की कामना की है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि प्रकाश का पर्व सिर्फ घर में ही नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में भी उजाला लायेगा।
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दीपावली के दूसरे दिन प्रदेश के बैंकों में सार्वजनिक अवकाश
राज्य शासन ने दीपावली के दूसरे दिन गुरुवार 12 नवम्बर को पूरे प्रदेश में स्थित बैंकों के लिये सार्वजनिक अवकाश का दिन घोषित किया है। यह निर्णय निगोशियेबल इन्स्ट्रूमेंट्स एक्ट में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए लिया गया।
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मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दी प्रदेशवासियों को दीपोत्सव की शुभकामनाएँ
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने दीपावली के पावन पर्व पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि दीपोत्सव भारतीय संस्कृति का प्रतीक पर्व है। उन्होंने प्रदेशवासियों को सुख-समृद्धि की कामना करते हुए कहा कि प्रदेश निरंतर विकास कर रहा है। हर क्षेत्र में समृद्धि का विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा कि सभी नागरिक एक दूसरे को सहयोग करें और साथ मिलकर दीपोत्सव मनाएँ। विकास का प्रकाश फैलाएँ। स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें।
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Saturday, November 7, 2015
भारतीय वायुसेवा में भर्ती रैली
भोपाल : शनिवार, नवम्बर 7, 2015, 16:54 IST | |
भारतीय वायुसेवा में भर्ती ग्रुप एक्स (टेक्निकल) और ग्रुप वाय (नान टेकनीकल) की भर्ती 03 से 10 दिसम्बर 2015 तक कलेक्ट्रेट विदिशा म.प्र. में होगी। जिसमें आयु सीमा 01 फरवरी 1996 से 31 मई 1999 के बीच जन्म हुआ हो। शैक्षणिक योग्यता इन्टर मीडियट/ पोलेटेक्निक डिप्लोमा 50 प्रतिशत अंक से अधिक किया हो। अधिक जानकारी के लिए वायु सैनिक चयन केन्द्र भोपाल 0755-2661955 या www.airmenselection.gov.in पर जानकारी प्राप्त कर सकते है।
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विधि के क्षेत्र में हिन्दी में कार्य करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता मिलेगी
भोपाल : शनिवार, नवम्बर 7, 2015, 17:59 IST
विधि के क्षेत्र में हिन्दी तथा संविधान की आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट अन्य प्रादेशिक भाषाओं के प्रयोग और प्रचार के लिये काम करने वाली स्वेच्छिक संस्थाओं के लिये वित्तीय सहायता योजना संचालित की जा रही है। अनुदान उन्हीं संस्थाओं को दिया जायेगा, जो संविधान में उल्लेखित किसी भाषा में कार्य करती है। इनमें विधि की मौलिक पुस्तकों की रचना, मानक पुस्तकों या गौरव ग्रंथों का अनुवाद शब्द-कोष निर्माण तथा निर्णय पत्रिकाओं का प्रकाशन शामिल है।
इसके अलावा ऐसा अन्य कोई प्रकाशन जो हिन्दी या किसी अन्य राजभाषा का विधि के क्षेत्र में विकास एवं प्रसार-प्रचार करे। प्रादेशिक भाषाओं में उन कृतियों को भी अतिरिक्त अनुदान देने पर भी विचार किया जायेगा, जिनके साथ उनका हिन्दी पाठ संलग्न है।
आवेदन की प्रति वेबसाइट www.lawmin.nic.in/olwing पर उपलब्ध है। आवेदन-पत्र 15 नवम्बर तक श्री राजेश यादव, अपर सचिव, विधि-विधायी कार्य विभाग, विंध्याचल भवन, भोपाल को कार्यालय समय में व्यक्तिगत रूप से अथवा रजिस्टर्ड डाक द्वारा आवश्यक रूप से पहुँच जाना चाहिये। प्राप्त आवेदनों को सत्यापित कर अंतिम तिथि 20 नवम्बर तक संयुक्त सचिव एवं विधायी परामर्शी (राजभाषा) विधि और न्याय मंत्रालय, विधायी विभाग, नई दिल्ली को भेजा जायेगा।
प्रलय श्रीवास्तवमंत्रालय के 4 अधिकारी सेवानिवृत्त
भोपाल : शनिवार, नवम्बर 7, 2015, 18:07 IST | |
मंत्रालय सेवा से अक्टूबर 2015 में सेवानिवृत्त 4 अधिकारी को आज एक समारोह में विदाई दी गई। प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन श्री एम.के. वार्ष्णेय ने सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों को श्रीफल, उपहार और स्मृति-चिन्ह भेंट किए। प्रमुख सचिव ने सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों की सेवा की सराहना की और उनके यशस्वी तथा निरोगी जीवन की कामना की। समारोह में अवर सचिव श्री ए.डी. ढवले और श्री बी.डी. कुन्दानी, अनुभाग अधिकारी श्री नन्दलाल शिहाणी और दिनेश चौधरी को सेवानिवृत्ति पर विदाई दी गई।
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ब्लैक होने की वजह से मुझे नहीं मिला नोबेल प्राइज: बाबा रामदेव
योगगुरु बाबा रामदेव ने एक बार विवादों में हैं और इस बार मामला है नोबेल प्राइज का। बाबा रामदेव ने कहा है कि उन्हें नोबेल प्राइज इसलिए नहीं मिला, क्योंकि वह ‘ब्लैक’ हैं। ETV की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड की राजधानी रांची में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह बात कही। बाबा रामदेव का यह बयान आते ही टि्वटर पर रामदेव के समर्थक और विरोधी सक्रिय हो गए और Nobel Prize ट्रेंड में आ गया। हालांकि, बाबा रामदेव ने यह भी साफ किया कि उन्हें नेाबेल पुरस्कार नहीं मिलने का दुख नहीं है। उन्होंने कहा, ‘योग के माध्यम से मैं देश की सेवा कर रहा हूं, स्वस्थ भारत का निर्माण कर रहा हूं। मेरे लिए इतना काफी है
Google ने ग्रेट ऑनलाइन शॉपिंग फेस्टिवल को कहा Good Bye
दुनिया की मशहूर टेक कंपनी गूगल ने आज ऐलान किया है कि वह इस साल से भारत में ‘ग्रेट ऑनलाइन शॉपिंग फेस्टिवल’ (GOSF) का आयोजन नहीं करेगी। कंपनी ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब कई ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील खुदरा अपनी सेल से काफी कमाई कर रही हैं। गौरतलब है कि कंपनी ने ‘Cyber Monday’ के तर्ज पर 2012 जीओएसएफ की शुरुआत की जिसमें तमाम ई-कॉमर्स वेबसाइट हिस्सा लेती थीं और लोगों को काफी ऑफर्स दिए जाते थे। गूगल इंडिया के ई-कॉमर्स निदेशक नितिन बावनकुले ने एक ब्लॉग के जरिए इस फैसले की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है,‘ आज भारत में कई ई-कॉमर्स कंपनियां हैं जो कई तरह के ऑफर्स दे रही हैं।’ उनके मुताबिक अब ग्राहकों को ऑनलाइन सेल के लिए 12 महीने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। और न ही स्मॉल और मीडियम बिजनेस करने वालों को देश भर में कस्टमर्स तलाशने के लिए भी GOSF का भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने लिखा है कि कंपनी ने GOSF से काफी कुछ सीखा है, इसलिए अब वक्त आ गया है कि हम इसे बंद करें दे। उन्होंने लिखा कि भारत के पास 13 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं और 80 लाख लोग भारतीय लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं। और 2016 तक भारत के पास 35 करोड़ यूजर्स होंगे और 5 करोड़ ऑनलाइन शॉपर्स होने की संभावना है
खुशखबरीः अगले हफ्ते दिल्ली में लगेगा 10 हजार नौकरियों का मेला
दिल्ली में अगला जॉब समिट 16 नवंबर से 9 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। इसकी जानकारी दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को दी। उन्होंने कहा कि जॉब समिट का मकसद राजधानी के करीब 10 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है। दिल्ली के श्रम और रोजगार मंत्री गोपाल राय ने बताया कि जॉब समिट का आयोजन रोजगार विभाग के चार कार्यालयों क्रिबी प्लेस, आरकेपुरम, विश्वास नगर शाहदरा और पूसा रोड में होगा।
इस जॉब समिट का समापन त्यागराज स्टेडियम में 9 दिसंबर को किया जाएगा। रोजगार मंत्री ने बताया कि इस जॉब समिट में एलआइसी आॅफ इंडिया, पीएनबी मेट लाईफ, मधुर फैशन एंड लाईफ स्टाइल, सोडेक्स फैसेलिटी मैनेजमेंट, रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंलि, एवी सर्विस प्रालि, नाबेट आइटी सर्विस, स्लाईस ऑफ इटली, आरके जैन एसोसिएट प्रा. लि., यूरोका फोर्ब्स लि., टाटा टेलीकाम सेवा कंसलटेंसी इत्यादि कंपनियां भाग ले रही हैं।
उन्होंने कहा कि जॉब समिट के लिए रिसोर्स पार्टनर सीआइआइ और एसोचैम हैं। इस जॉब समिट में विभिन्न प्रकार की नौकरी जैसे डाटा एंट्री ऑपरेटर, इंश्योरेंस वित्तीय नियोजन सलाहकार, टेलीकॉलर, हाउस कीपिंग, सुरक्षा गार्ड, ड्राइवर इत्यादि के ऑफर बेरोजगार लोगों के लिए उपलब्ध होंगे। विशेष ढंग से सक्षम अभ्यर्थियों के लिए इस जॉब समिट में भी विशेष व्यवस्था की गई है। रोजगार विभाग, बेरोजगार अभ्यर्थियों के साथ परामर्श सत्र का आयोजन करेगा।
पिछला जॉब समिट 1 से 8 अगस्त तक आयोजित किया गया था जिसमें प्राइवेट कंपनियों ने हिस्सा लिया था। इस जॉब फेयर में 2100 अभ्यर्थियों को नौकरियों की पेशकश हुई थी। इस जॉब समिट के बारे में किसी भी तरह की जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर 011-22386022 पर संपर्क किया जा सकता है। इच्छुक अभ्यर्थी अपना पंजीकरण रोजगार विभाग की वेबसाइट पर करा सकते हैं।
सैमसंग ने लॉन्च किया 8990 का Galaxy On5 और 10990 का On7
सैमसंग ने आखिरकार On5 और On7 स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है। इसकी कीमत क्रमश: 8990 अैर 10,990 रुपए रखी गई है। इसे तीन नवंबर की रात से केवल ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट के जरिए बेचा जाएगा। Galaxy On5: इसमें 5 इंच का डिस्पले, Exynos 3475क्वैड कोर प्रोसेसर, 1.5 जीबी रैम, 8 जीबी स्टोरेज (जिसे 128 जीबी तक एक्सपैंड किया जा सकता है) की सुविधा मिलेगी। इसमें 8 मेगा पिक्सल का रीयर और 5 मेगा पिक्सल का फ्रंट कैमरा लगा है। इसकी बैटरी 2600 एमएएच की है। ड्यूअल सिम वाले इस फोन में 4जी, वाई-फाई, ब्लूटूथ 4.1 और जीपीस कनेक्टिविटी सपोर्ट की सुविधा है। फोन एंड्रॉयड 5.1 लॉलीपॉप ओएस से चलेगा। Galaxy On7: इसमें 5.5 इंच का डिस्पले, Exynos 3475क्वैड कोर प्रोसेसर, 1.5 जीबी रैम, 8 जीबी स्टोरेज (जिसे 128 जीबी तक एक्सपैंड किया जा सकता है) की सुविधा मिलेगी। इसमें 13 मेगा पिक्सल का रीयर और 5 मेगा पिक्सल का फ्रंट कैमरा लगा है। इसकी बैटरी 3000 एमएएच की है। ड्यूअल सिम वाले इस फोन में 4जी एलटीई, वाई-फाई, ब्लूटूथ 4.1 और जीपीस कनेक्टिविटी सपोर्ट की सुविधा है। फोन एंड्रॉयड 5.1 लॉलीपॉप ओएस से चलेगा।
सावधान: बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर में 27.50 रुपए की बढ़ोतरी
पेट्रोलियम कंपनियों ने बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमत में 27.50 रुपये की बढ़ोतरी की है। वहीं, विमान ईंधन (एटीएफ)के मूल्य में 142.56 रुपये प्रति किलोलीटर की कटौती की गई है। कीमतों में यह फेरबदल वैश्विक रुख के अनुरूप है। तेल कंपनियों के मुताबिक दिल्ली में अब बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमत 545 रुपये होगी। इससे पहले, 1 अक्तूबर को बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर गैस की कीमत में 42 रुपये की कटौती की गई थी। वहीं एटीएफ मूल्य में मामूली 0.3 फीसदी की कटौती की गई है। अब इसकी कीमत 43,041 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है। इससे पहले, 1 अक्तूबर को एटीएफ के दाम में 5.5 प्रतिशत या 2,245.92 रुपये प्रति किलोलीटर की बढ़ोतरी की गई थी। विभिन्न हवाईअड्डों पर विमान ईंधन की कीमत स्थानीय बिक्री कर या वैट पर निर्भर करेगी। एयरलाइंस की परिचालन लागत में एटीएफ हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है और कीमत में कटौती से नकदी समस्या से जूझ रही कंपनियों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
सरकार ने नियुक्त किए चार बैंकों के एमडी
सरकार ने यूको बैंक, कॉरपोरेशन बैंक व आंध्र बैंक समेत सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंकों में प्रबंध निदेशक नियुक्त किए हैं। ओरिएंटल बैंक के कार्यकारी निदेशक सुरेश एन पटेल को आंध्र बैंक का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है। वहीं देना बैंक के कार्यकारी निदेशक आरके टक्कर अब यूको बैंक के जबकि जेके गर्ग कारपोरेशन बैंक के प्रबंध निदेशक बनाए गए हैं। कॉरपोरेशन बैंक के वर्तमान चेयरमैन और प्रबंध निदेशक जनवरी में सेवानिवृत्त होंगे। इंडियन बैंक के कार्यकारी निदेशक महेश कुमार जैन को पदोन्नत कर तीन साल के लिए प्रबंध निदेशक और सीईओ नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति पदभार ग्रहण करने के तारीख से तीन साल के लिए या सेवानिवृत्ति तक या अगले आदेश तक जो भी पहले हो, के लिए की गए है। जैन ने दो नवंबर को इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक पद की जिम्मेदारी संभाली।
इसी महीने से फिर बिकने लगेगी मैगी, नेस्ले ने कहा- जांच में सौ फीसदी खरे उतरे
एक महीने के अंदर मैगी नूडल्स फिर से बाजार में आ जाएगा। इसे बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया ने बुधवार को यह घोषणा की। कंपनी का कहना है कि मैगी के नए स्टॉक्स में से सौ फीसदी सैंपल जांच के बाद सेफ पाए गए हैं और इन्हें बाजार में उतारने के लिए हरी झंडी मिल गई है। मैगी पर भारत सरकार ने बैन लगा दिया था। आरोप था कि मैगी में सीसा की मात्रा तय सीमा से अधिक पाई गई थी। लेकिन अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बैन को गलत ठहराया था। कोर्ट ने कहा था कि नेस्ले नए सिरे से सैंपल भेज कर तीन अलग-अलग लैब में जांच करवाए। पिछले महीने नेस्ले ने बताया था कि हाईकोर्ट के निर्देशों के मुताबिक करवाए गए जांच में सारे सैंपल सही पाए गए हैं। कंपनी ने कहा था कि अब वह फिर से मैगी बनाएगी और नए प्रॉडक्ट को भी उन्हीं लैब में जंचवाएगी जहां हाईकोर्ट ने सैंपल भिजवाए थे। कंपनी का कहना है कि इन लैब्स में जांच के बाद नया प्रॉडक्ट सही पाया गया है और अब इस महीने के अंत तक मैगी वापस बाजार में पहुंच जाएगी।
कॉल ड्रॉप पर राहत की बजाए बढ़ी तकरार, जानें कैसे?
रोजमर्रा की जिंदगी में अपने हर काम के लिए मोबाइल फोन पर निर्भर उपभोक्ताओं के लिये सिरदर्द बन चुके कॉल ड्रॉप के मुद्दे पर दूरसंचार नियामक और टेलीकॉम ऑपरेटरों के बीच लगातार बढ़ रही तरकरार से उपभोक्तओं को राहत मिलने की उम्मीद धूमिल होती दिख रही है। पिछले करीब एक साल से ग्राहकों की कॉल ड्रॉप की बढ़ती शिकायतों को ध्यान में रखते हुये भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 1 जनवरी 2016 से प्रत्येक कॉल ड्रॉप पर एक रुपये जुर्माने का आदेश दिया है। इससे बौखलाये टेलीकॉम ऑपरेटर टावरों की संख्या घटाये जाने, स्पेक्ट्रम की कम उपलब्धता और राजस्व पर दबाव बढ़ने की दुहाई देकर इससे दूर भागने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने उन पर बेहतर सेवा के लिए पर्याप्त निवेश नहीं करने और उपलब्ध स्पेक्ट्रम का अधिकांश हिस्सा वॉयस सर्विस की बजाय डाटा सेवा के विस्तार के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। इससे नियामक और कंपनियों के बीच खींचतान बढ़ने से जुर्माने के आदेश को तय समयसीमा पर लागू कर पाना मुश्किल दिख रहा है। हालांकि, ट्राई ने इसे लागू करने के फैसले पर दृढ़ता दिखाते हुए कहा है कि यह एक वैध निर्णय है और इसे संशोधित या रद्द नहीं किया जा सकता। ट्राई के 16 अक्टूबर के आदेश के मुताबिक, दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के लिए प्रत्येक कॉल ड्रॉप पर उपभोक्ताओं को एक रुपये क्षतिपूर्ति देना अनिवार्य है। एक दिन में इसकी अधिकतम सीमा तीन होगी। यानि ऑपरेटरों को पूरे चैबीस घंटे में प्रति उपभोक्ता अधिकतम तीन रुपये की भरपाई करनी होगी। इससे दुनिया के तीसरे बड़े मोबाइल फोन बाजार में अपनी आमदनी घटने के खतरे को भांपते हुये ऑपरेटरों ने बचाव में कॉल दरें बढ़ाने की चेतावनी भी दे डाली। दूरसंचार कंपनियों के शीर्ष संगठन सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने कहा कि देश के 50 फीसदी उपभोक्ताओं ने कॉल ड्रॉप की शिकायत की है। ट्राई का क्षतिपूर्ति आदेश लागू होने से कंपनियों को भरपाई के लिए प्रतिदिन 150 करोड़ रुपये खर्च करना होगा। वहीं, एक गैर सरकारी संगठन टेलीकॉम वाचडॉग का अनुमान है कि इस पर पूरे एक साल में प्रत्येक ऑपरेटर का खर्च 10 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा। टावरों की संख्या में हो रही कमी को कॉल ड्रॉप का मुख्य कारण मानते हुये सीओएआई के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज का कहना है कि स्थानीय अधिकारी मोबाइल टावरों को लगातार निष्क्रिय कर रहे हैं। कम टावरों के कारण नेटवर्क कवरेज कमजोर हो रहा है। इससे कॉल ड्रॉप की समस्या बढ़ी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केवल तीन सप्ताह के भीतर 350 टावरों और मुंबई में चार-पांच महीने के दौरान 100 से अधिक टावरों को निष्क्रिय कर दिया गया। हालांकि सरकार इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास कर रही है।
अशोक चक्र वाले सोने के सिक्के जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वर्ण बांड योजना और अशोक चक्र वाले सोने के सिक्के जारी करने सहित तीन स्वर्ण योजनाओं की शुरुआत की। इन योजनाओं का उद्देश्य घरों में पड़े 52 लाख करोड़ रुपए के सोने को बैकिंग प्रणाली में लाना और सोने के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाना है। बढ़ते आयात से भारत गुरुवार को दुनिया में सोने का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। भारत सालाना एक हजार टन सोने का आयात करता है जिससे भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा बाहर चली जाती है और राजकोषीय घाटे पर दबाव बढ़ता है। अनुमान है कि देश में लोगों और मंदिरों में 20 टन सोना पड़ा है। इसकी अनुमानित कीमत 52 लाख करोड़ रुपए है। मोदी ने देश में पहली बार सरकारी स्तर पर सोने का सिक्का और बुलियन (सोने की बट्टी) भी जारी की जिस पर एक तरफ अशोक चक्र और दूसरी तरफ महात्मा गांधी की छवि अंकित है। इन योजनाओं को सोने पर सुहागा करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को इन योजनाओं से फायदा मिलना चाहिए और राष्ट्र निर्माण में मदद करनी चाहिए। एक अन्य योजना स्वर्र्ण मौद्रीकरण योजना, 2015 के तहत बैंक 15 साल तक के लिए सोना अपने पास जमा करेंगे और समय-समय पर इसकी नीलामी करेंगे या जौहरियों को उधार देंगे। जमाकर्ताओं को सालाना 2.50 फीसद ब्याज मिलेगा जो बैंक जमा दर से कम है। खरीदारों को अपना स्थायी खाता नंबर (पैन) और अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) जुड़े दस्तावेज सौंपने होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस देश के पास घर-परिवार और संस्थानों में 20 हजार टन सोना बेकार रखा हो, ऐसे देश के गरीब रहने की कोई वजह नहीं है। भारत कुछ नई पहलों और सही नीतियों के साथ आगे बढ़ते हुए गरीब देश के तौर पर अपनी पहचान को खत्म कर सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मौके पर कहा कि सोने का आयात हतोत्साहित करना आवश्यक है और बांड योजना से भौतिक रूप में सोने की मांग कम होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी ने अशोक चक्र वाला सोने के सिक्का पेश करने को देश के लिए सम्मान का विषय करार दिया और कहा कि लोगों को अब विदेश में बनी सोने की छड़ या सिक्कों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सिक्कों के विनिर्माण से सरकार की मेक इन इंडिया पहल को भी बढ़ावा मिलेगा। मोदी ने देश में सुनारों पर परिवारों के विश्वास और गहरे रिश्ते का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक बार इन योजनाओं के बारे में अच्छी तरह जान लेने के बाद वे खुद ही इन योजनाओं के सबसे बड़े एजंट बन जाएंगे। भारत में बचत और महिलाओं को सोने के साथ सशक्त बनाने की परंपरा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को अर्थशास्त्र और गृहशास्त्र के बीच फर्क समझना होगा। जहां तक स्वर्ण मौद्रीकरण योजना का सवाल है, इससे होने वाली आय पर पूंजीगत लाभ कर, संपत्ति कर और आयकर से छूट है।
पासवर्ड-मुक्त दुनिया पर काम कर रही माइक्रोसॉफ्ट: नाडेला
ईमेल और मोबाइल फोन की सुरक्षा को लेकर बढ़ रही चिंताओं के बीच प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने गुरुवार को कहा कि वह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने वालों को पासवर्ड की चिंता से निजात दिलाने पर काम कर रही है। माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्य नाडेला ने यहां कहा, ‘सुरक्षा के सबसे बड़े मुद्दों में से एक मुद्दा पासवर्ड है। हम एक ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहे हैं जहां पासवर्ड ऐसी चीज नहीं रह जाएगी जिसके बल पर कोई आपका सिस्टम हैक कर ले, बल्कि आपके पास अन्य बायोमीट्रिक्स होंगे जो आपको सुरक्षा में मदद करेंगे।’ नाडेला यहां माइक्रोसॉफ्ट के अब तक के सबसे बड़े सम्मेलन ‘फ्यूचर अनलीश्ड : एक्सिलरेटिंग इंडिया’ को संबोधित कर रहे थे। कंपनी भारत में अपना 25वां साल मना रही है। हैदराबाद में जन्मे नाडेला ने कहा कि कंपनी इस धरती पर हर व्यक्ति और हर संगठन को अधिक से अधिक चीजें हासिल करने के लिए सशक्त बनाना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘हमारा मिशन प्रत्येक घर में प्रत्येक डेस्क पर एक पर्सनल कंप्यूटर लगाने का था, लेकिन यह पिछला लक्ष्य था। हमारा मिशन प्रत्येक व्यक्ति व संगठन को सशक्त बनाने का था।’ उन्होंने स्मार्ट शहरों के सशक्तीकरण के लिए नई क्लाउड स्टार्ट-अप पहल की। माइक्रोसॉफ्ट जनवरी में यहां नवीनतम सरफेस प्रो 4 पेश करेगी जो 75,000 रुपए या इससे अधिक कीमत में उपलब्ध होगा।
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केंद्र सरकार ने बजट लक्ष्यों को पूरा करने को लेकर अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए शुक्रवार रात पेट्रोल पर 1.6 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 40 पैसे प्रति लीटर ‘एक्साइज ड्यूटी’ बढ़ा दी। सीबीईसी अधिसूचना के मुताबिक, गैर ब्रांडेड या सामान्य पेट्रोल पर बेसिक एक्साइज ड्यूटी 5.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 7.06 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। अतिरिक्त और विशेष एक्साइज ड्यूटी को शामिल करने के बाद पेट्रोल पर कुल लेवी 19.06 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी जो वर्तमान में 17.46 रुपये प्रति लीटर थी। इसी तरह, गैर ब्रांडेड या सामान्य डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 4.26 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 4.66 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। ब्रांडेड पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 6.64 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 8.24 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है. विशेष और अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी पहले की तरह ही 12 रुपये प्रति लीटर रहेगी। ब्रांडेड डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 6.62 रुपये से बढ़ाकर 7.02 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है।
आरक्षण की समीक्षा का सवाल
भारत की विविधता को ध्यान में रखते हुए अवसर की समानता, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का उल्लेख भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही है। जब आरक्षण की व्यवस्था पर संविधान सभा में बहस हो रही थी तो आंबेडकर ने गोपाल कृष्ण गोखले की उस बात का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश कर्मचारी तंत्र में भारतीयों का प्रतिनिधित्व न होने के कारण समाज कुंठित हो रहा है। इसलिए समाज के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए, नैतिकता के आधार पर उनकी क्षमताओं के उपयोग के लिए उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए। आंबेडकर ने कहा कि जब डेढ़ सौ वर्ष पुरानी अंगरेजी शासन-व्यवस्था में प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण भारतीय सवर्ण अपनी क्षमताओं का उपयोग नहीं कर पा रहे थे, तो भारत के दलित समाज की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। इसी पृष्ठभूमि में आंबेडकर ने संविधान सभा में दलितों को आरक्षण देने की मांग उठाई, ताकि उनका प्रतिनिधित्व हो सके और वे अपनी क्षमताओं का उपयोग कर सकें। गांधीजी ने अपनी किताब ‘मेरे सपनों का भारत’ में लिखा है: ‘सरकारी महकमों में जहां तक कोटे की बात है, अगर हमने उसमें सांप्रदायिक भावना का समावेश किया तो यह एक अच्छी सरकार के लिए घातक होगा। मैं समझता हूं कि सक्षम प्रशासन के लिए, उसे आवश्यक रूप से हमेशा योग्य हाथों में होना चाहिए। निश्चित ही वहां भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। पदों का वितरण हर समुदाय के सदस्यों के अनुपात में नहीं होना चाहिए। जो सरकारी सेवाओं में जवाबदेही के पदों को पाने की लालसा रखते हैं, वे इसके लिए जरूरी परीक्षा पास करने पर ही उन पर काबिज हो सकते हैं।’ पंडित नेहरू ने 27 जून, 1961 को मुख्यमंत्रियों को लिखे एक पत्र में कहा था: ‘हमें आरक्षण की पुरानी आदत और इस जाति या उस समूह को दी गई खास तरह की रियायतों से बाहर आने की आवश्यकता है। यह सच है कि अनुसूचित जाति-जनजाति को मदद करने के प्रसंग में हम कुछ नियम-कायदों और बाध्यताओं से बंधे हैं। वे मदद के पात्र हैं, लेकिन इसके बावजूद मैं किसी भी तरह के कोटे के खिलाफ हूं, खासकर सरकारी सेवाओं में। मैं किसी भी तरह की अक्षमता और दोयम दर्जेपन के सर्वथा विरुद्ध हूं। मैं चाहता हूं कि मेरा देश हरेक क्षेत्र में अव्वल देश बने। जिस घड़ी हम दोयम दर्जे को बढ़ावा देंगे, हम मोर्चा हार जाएंगे।’ हालांकि भारतीय राजनीति में पिछड़ों के लिए दरवाजे खोलने की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू के समय में हुई थी। उन्होंने 29 जनवरी, 1953 को पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया। इसके पहले अध्यक्ष काका कालेलकर थे। उनकी अगुवाई में लगभग दो साल के विचार मंथन के बाद आयोग ने 30 मार्च, 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। यह रिपोर्ट विचार के स्तर पर ही दम तोड़ गई। वह अंतर्विरोधों से भरी थी। उसके अनेक सदस्य उस पर असहमति दर्ज करा चुके थे। फिर 20 दिसंबर, 1978 को मोरारजी देसाई ने संसद में बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अगुआई में नए आयोग की घोषणा की। मंडल आयोग ने 12 दिसंबर, 1980 को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया। तब तक केंद्र में सत्ता बदल चुकी थी। अब इंदिरा गांधी सत्ता में थीं। उनके मंत्रिमंडल में आयोग के प्रस्तावों को मूर्त रूप देने पर कई तरह के आग्रह-दुराग्रह थे। मंडल आयोग ने ग्यारह प्रकार की सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक कसौटियों पर जातियों को परखा था। गहन शोध के बाद आयोग ने पाया था कि देश में कुल 3,743 पिछड़ी जातियां हैं। वह भारतीय आबादी का बावन प्रतिशत हिस्सा था। इसके लिए 1931 की जनगणना को आधार बनाया गया था। मंडल आयोग ने सरकारी नौकरियों में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए सत्ताईस फीसद आरक्षण की सिफारिश की। अनुसूचित जाति-जनजाति को पहले ही साढ़े बाईस प्रतिशत आरक्षण हासिल था। यानी अगर यह सिफारिश मान ली जाती तो देश में लगभग 49.5 फीसद सरकारी नौकरियां आरक्षित वर्ग के कोटे में चली जानी थीं। 13 अगस्त, 1990 को वीपी सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने इसे लागू करने की अधिसूचना जारी की। उसके बाद से आरक्षण का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा। वर्तमान में राजनीतिक धुरंधरों ने आरक्षण की मूल भावना को बिसार कर प्रतिनिधित्व के बजाय मात्र सरकारी नौकरियों तक सीमित कर दिया। इसी आलोक में गुजरात के पटेल-पाटीदार समुदाय, राजस्थान के गुर्जर समुदाय, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के जाट समुदाय द्वारा ओबीसी आरक्षण की मांग को देखना चाहिए। आरक्षण का अर्थ गरीबी उन्मूलन नहीं है। प्रतिनिधित्व और आर्थिक पिछड़ापन दो अलग बातें हैं। आर्थिक पिछड़ापन सभी जातियों में है, इसलिए सरकार द्वारा आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए बीपीएल जैसी योजना शुरू की गई, जिससे समाज की सभी जातियां, सभी पंथों के लोग समान रूप से लाभान्वित होते हैं। लेकिन बीपीएल योजना का आधार मात्र आर्थिक होने के कारण उन्हें वह लाभ नहीं मिलता, जो आरक्षण से मिलता है। मसलन, विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका में प्रतिनिधित्व का आधार समाज की जातियां हैं न कि आर्थिक पिछड़ापन। इसलिए प्रतिनिधित्व और आर्थिक पिछड़ेपन के बीच की महीन रेखा को समझना होगा। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसके लिए शर्त है कि उस खास वर्ग को साबित करना होगा कि वह अन्य वर्गों के मुकाबले सामाजिक-शैक्षणिक रूप से पिछड़ा हुआ है। 1993 के मंडल कमीशन मामले में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने कहा था कि जाति अपने आप में आरक्षण का आधार नहीं बन सकती। उसमें दिखाई देना चाहिए कि पूरी जाति शैक्षणिक-सामाजिक रूप से बाकियों से पिछड़ी है। अलग-अलग राज्यों में देखा गया है कि किसी समुदाय को एक राज्य में आरक्षण है, तो किसी अन्य राज्य या केंद्र में नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि राज्यों में आरक्षण के लिए अलग-अलग स्थिति हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि आमतौर पर पचास फीसद से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता, क्योंकि एक तरफ हमें मेरिट का खयाल रखना होगा तो दूसरी तरफ हमें सामाजिक न्याय को भी ध्यान में रखना होगा। अलग-अलग राज्यों में आरक्षण देने का तरीका अलग है। शुरू में सिर्फ एससी और एसटी को दस साल के लिए आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन मंडल कमीशन की सिफारिशों के आधार पर ओबीसी को भी आरक्षण दिया गया। सरकारी नौकरियों और शिक्षा में भी पिछड़े वर्ग को सत्ताईस फीसद आरक्षण मिला। हालांकि पिछड़े वर्ग के क्रीमी लेयर को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक पचास फीसद से ज्यादा आरक्षण नहीं होना चाहिए, लेकिन किसी विशेष कारणवश तमिलनाडु में अड़सठ फीसद तक आरक्षण दिया जा रहा है। उसी को आधार बना कर पिछले दिनों राजस्थान में भी आरक्षण की सीमा को बढ़ा कर अड़सठ फीसद कर दिया गया। ऐसी विकट परिस्थिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का कहना कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए, बिल्कुल तर्कसंगत और समय की मांग के अनुरूप है। अब प्रश्न उठाने का समय आ गया है कि हर तरह का आरक्षण हो, लेकिन कब तक? आखिर कोई तो समय सीमा होनी चाहिए। स्वतंत्रता के इतने वर्ष बीत जाने के बाद सवा अरब की जनसंख्या वाले इस देश में क्या आरक्षण प्राप्त सभी नागरिक लाभान्वित हुए? जिस उद्देश्य से भारतीय संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया था, क्या वह प्राप्त हुआ? निश्चित रूप से किसी भी व्यक्ति के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता कड़ी मेहनत है। जाति, लालच और सिफारिश, आरक्षण या धर्म की आड़ लेकर यह नहीं हो सकता। आरक्षण का झुनझुना देश के विकास की गति को भी रोकेगा और देश की सामाजिक एकता को भी नुकसान पहुंचाएगा। आरक्षण लागू होने से लेकर अब तक जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है, पर सरकारी पदों में उसी अनुपात में बढ़ोतरी नहीं हुई है। देश में लगभग चौंतीस लाख केंद्रीय कर्मचारी, बहत्तर लाख राज्यों के कर्मचारी और इक्कीस लाख स्थानीय निकायों के कर्मचारी हैं। इसलिए इस सीमित सरकारी नौकरियों के लिए ही आरक्षण जैसे भावनात्मक विषय उठा कर राजनीतिक रोटी सेंकी जा रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में मंडल पार्ट-2 को प्रमुख मुद्दा बनाया जा रहा है। हमारे राजनेता भूल चुके हैं कि उन्हीं लोगों ने संविधान में देश से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विभेद को खत्म करने का संकल्प कर आरक्षण की व्यवस्था की थी, पर अब वही लोग आरक्षण को गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम बनाने पर आमदा हैं, जो बेहद शर्मनाक है। सच्चाई यह है कि जाति को पिछड़ेपन का एकमात्र आधार माना ही नहीं जा सकता। कुल मिलाकर देश में हर जाति और समुदाय के गरीबों को समुचित शिक्षा, स्वास्थ्य और संसाधन उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन आखिर में आगे बढ़ने के लिए योग्यता ही एकमात्र पैमाना होना चाहिए। देश के कई हिस्सों में हो रहे आरक्षण के आंदोलन साफ संकेत दे रहे हैं कि आगे आने वाले समय में अगर आरक्षण की समीक्षा ठीक ढंग से नहीं की गई तो यह समस्या बहुत विकराल रूप धारण कर सकती है। इसलिए समय रहते आरक्षण की समीक्षा की जाए और अगर आवश्यक हो तो आरक्षण की निश्चित समय सीमा तय कर उसके आधार पर भी विचार किया जाए, क्योंकि पिछली गलतियों की सजा भविष्य नहीं भुगतेगा। - See more at: http://www.jansatta.com/politics/question-on-review-of-reservation/47766/#sthash.60V29Z4D.dpuf
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