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Sunday, October 18, 2015

गाय के रज का तिलक करें, बढ़ जाएगा आठ गुना


गाय से शरीर से जो सात्विक उर्जा निकलती है, उस घर या इलाके में गाय होने से बहुत साड़ी अशुभ चीजें दूर हो जाती हैं l गाय के शरीर में सुर्यकेतु नाड़ी होती है, जो सूर्य किरणों को पीती है, इसलिए गाये के गोबर व मूत्र में भी सात्विक पॉवर होता है l मरते समय भी गाय के गोबर का लीपन करके व्यक्ति को सुलाया जाता है l
  • कैसी भी जहरी दवाएं खायी हो, गौमूत्र थोड़े दिन पिये, Blockage खुल जायेगा और जहरी दवाओं का असर उतर जायेगा l
  • बच्चों को गाय की पूंछ का झाड़ा देने से ऊपर की आई हुई हवा या कुप्रभाव नाश होता है l
  • जिसको रात को ठीक से नींद न आती हो, वो मोर के पंख रख दे, सिरहाने के नीचे और "हरि ॐ" का गुंजन करे , नींद आने लगेगी l
  • जिसको बुरे स्वप्न आते हों वो बुरे स्वप्न न आयें इसका आग्रह छोड़ दें l पैरों को गाय का घी मल दें और सिर में थोड़ा हलकी मालिश कर दें किसी भी तेल की l
  • गाए के दूध से बनी दही शरीर पर रगड़कर स्नान करने से स्वास्थ्य, प्रसन्नता और दरिद्रता दूर हो जाती है l
  • चावल पानी में पका लें फिर गाय के दूध में डालकर खीर बना लें, ज्यादा मीठा और मेवा न डालें और फिर "ॐ" का १२० माला जप करें l ७ सप्ताह तक करें तो ७ जनम की दरिद्रता दूर हो जाती है और ७ जनम तक कुटुंब में दरिद्रता नहीं आती l
  • जिस रोग के लिए डॉक्टर ने मना कर दिया हो की ये रोग ठीक नहीं हो सकता, वो व्यक्ति घर में गाय पालें और चारा-पानी खुद खिलाये और स्नेह करें l गाय की प्रसन्नता उसके रोमकूपों से प्रकट होगी और आप अपने हाथ गाय की पीठ पर घुमाएंगे तो आपके हाथों की उँगलियों द्वारा वो प्रसन्नता, रोग प्रतिकारक शक्ति बढाएगी l २-४ महीने तक ऐसा करें l
  • काली गाय का घी बुढापे में भी जवानी ले आता है l हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाहट खाने की मनाही है तो गाए का घी खाएं, हार्ट मज़बूत बनता है l

गौ माता की अद्भुत महिमा

महामहिमामयी गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है|
१. गौमाता को कभी भूलकर भी भैस बकरी आदि पशुओ की भाति साधारण नहीं समझना चाहिये गौ के शरीर में “३३ करोड़ देवी देवताओ” का वास होता है. गौमाता श्री कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है|
२. गौ को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन-मन-धन से गौ की सेवा करता है. तो गौ उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है. |
३. प्रातः काल उठते ही श्री भगवत्स्मरण करने के पश्चात यदि सबसे पहले गौमाता के दर्शन करने को मिल जाये तो इसे अपना सौभाग्य मानना चाहिये |
४. यदि रास्ते में गौ आती हुई दिखे, तो उसे अपने दाहिने से जाने देना चाहिये |
५. जो गौ माता को मारता है, और सताता है, या किसी भी प्रकार का कष्ट देता है, उसकी २१ पीढियाँ नर्क में जाती है |
६. गौ के सामने कभी पैर करके बैठना या सोना नहीं चाहिये, न ही उनके ऊपर कभी थूकना चाहिये, जो ऐसा करता है वो महान पाप का भागी बनता है |
७. गौ माता को घर पर रखकर कभी भूखी प्यासी नहीं रखना चाहिये न ही गर्मी में धूप में बाँधना चाहिये ठण्ड में सर्दी में नहीं बाँधना चाहिये जो गाय को भूखी प्यासी रखता है उसका कभी श्रेय नहीं होता |
८. नित्य प्रति भोजन बनाते समय सबसे पहले गाय के लिए रोटी बनानी चाहिये गौग्रास निकालना चाहिये.गौ ग्रास का बड़ा महत्व है |
९. गौओ के लिए चरणी बनानी चाहिये, और नित्य प्रति पवित्र ताजा ठंडा जल भरना चाहिये, ऐसा करने से मनुष्य की “२१ पीढियाँ” तर जाती है |
१०. गाय उसी ब्राह्मण को दान देना चाहिये, जो वास्तव में गाय को पाले, और गाय की रक्षा सेवा करे, यवनों को और कसाई को न बेचे. अनाधिकारी को गाय दान देने से घोर पाप लगता है |
११. गाय को कभी भी भूलकर अपनी जूठन नहीं खिलानी चाहिये, गाय साक्षात् जगदम्बा है. उन्हें जूठन खिलाकर कौन सुखी रह सकता है |
१२. नित्य प्रति गाय के परम पवित्र गोवर से रसोई लीपना और पूजा के स्थान को भी, गोमाता के गोबर से लीपकर शुद्ध करना चाहिये |
१३. गाय के दूध, घी, दही, गोवर, और गौमूत्र, इन पाँचो को ‘पञ्चगव्य’ के द्वारा मनुष्यों के पाप दूर होते है |
१४. गौ के “गोबर में लक्ष्मी जी” और “गौ मूत्र में गंगा जी” का वास होता है इसके अतिरिक्त दैनिक जीवन में उपयोग करने से पापों का नाश होता है, और गौमूत्र से रोगाणु नष्ट होते है |
१५. जिस देश में गौमाता के रक्त का एक भी बिंदु गिरता है, उस देश में किये गए योग, यज्ञ, जप, तप, भजन, पूजन , दान आदि सभी शुभ कर्म निष्फल हो जाते है |
१६ . नित्य प्रति गौ की पूजा आरती परिक्रमा करना चाहिये. यदि नित्य न हो सके तो “गोपाष्टमी” के दिन श्रद्धा से पूजा करनी चाहिये |
१७. गाय यदि किसी गड्डे में गिर गई है या दलदल में फस गई है, तो सब कुछ छोडकर सबसे पहले गौमाता को बचाना चाहिये गौ रक्षा में यदि प्राण भी देना पड़ जाये तो सहर्ष दे देने से गौलोक धाम की प्राप्ति होती है |
१८ . गाय के बछड़े को बैलो को हलो में जोतकर उन्हें बुरी तरह से मारते है, काँटी चुभाते है, गाड़ी में जोतकर बोझा लादते है, उन्हें घोर नर्क की प्राप्ति होती है |
१९. जो जल पीती और घास खाती, गाय को हटाता है वो पाप के भागी बनते है |
२०. यदि तीर्थ यात्रा की इच्छा हो, पर शरीर में बल या पास में पैसा न हो, तो गौ माता के दर्शन, गौ की पूजा, और परिक्रमा करने से, सारे तीर्थो का फल मिल जाता है, गाय सर्वतीर्थमयी है, गौ की सेवा से घर बैठे ही ३३ करोड़ देवी देवताओ की सेवा हो जाती है |
२१ . जो लोग गौ रक्षा के नाम पर या गौ शालाओ के नाम पर पैसा इकट्टा करते है, और उन पैसो से गौ रक्षा न करके स्वयं ही खा जाते है, उनसे बढकर पापी और दूसरा कौन होगा. गौमाता के निमित्त में आये हुए पैसो में से एक पाई भी कभी भूलकर अपने काम में नहीं लगानी चाहिये, जो ऐसा करता है उसे “नर्क का कीड़ा” बनना पडता है |
गौ माता की सेवा ही करने में ही सभी प्रकार के श्रेय और कल्याण है |
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गाय एक चिकित्सा शास्त्र : घीसीलाल मालवीय
संस्थापक, गौशाला, माँ हिंगलाज सेवा संस्थान भोपाल

गौमाता एक चलती फिरती चिकित्सालय है। गाय के रीढ़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है जो सूर्य के गुणों को धारण करती है। सभी नक्षत्रों की यह रिसीवर है। यही कारण है कि गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, घी में औषधीय गुण होते हैं।

1. गौमूत्र :- आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग कहे गए हैं। गौमूत्र को विषनाशक, रसायन, त्रिदोषनाशक माना गया है। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। गौमूत्र से लगभग 108 रोग ठीक होते हैं। गौमूत्र स्वस्थ देशी गाय का ही लेना चाहिए। काली बछिया का हो तो सर्वोत्तम। बूढ़ी, अस्वस्थ व गाभिन गाय का मूत्र नहीं लेना चाहिए। गौमूत्र को कांच या मिट्टी के बर्तन में लेकर साफ सूती कपड़े के आठ तहों से छानकर चौथाई कप खाली पेट पीना चाहिए।
गौमूत्र से ठीक होने वाले कुछ रोगों के नाम – मोटापा, कैंसर, डायबिटीज, कब्ज, गैस, भूख की कमी, वातरोग, कफ, दमा, नेत्ररोग, धातुक्षीणता, स्त्रीरोग, बालरोग आदि।
गौमूत्र से विभिन्न प्रकार की औषधियाँ भी बनाई जाती है –
1. गौमूत्र अर्क(सादा) 2. औषधियुक्त गौमूत्र अर्क(विभिन्न रोगों के हिसाब से) 3. गौमूत्र घनबटी 4. गौमूत्रासव 5. नारी संजीवनी 6. बालपाल रस 7. पमेहारी आदि।
2. गोबर :- गोबर विषनाशक है। यदि किसी को विषधारी जीव ने काट दिया है तो पूरे शरीर को गोबर गौमूत्र के घोल में डुबा देना चाहिए।
नकसीर आने पर गोबर सुंघाने से लाभ होता है।
प्रसव को सामान्य व सुखद कराने के समय गोबर गोमूत्र के घोल को छानकर 1 गिलास पिला देना चाहिए(गोबर व गौमूत्र ताजा होना चाहिए)। गोबर के कण्डों को जलाकर कोयला प्राप्त किया जाता है जिसके चूर्ण से मंजन बनता है। यह मंजन दांत के रोगों में लाभकारी है।
3. दूध : – गौदुग्ध को आहार शास्त्रियों ने सम्पूर्ण आहार माना है और पाया है। यदि मनुष्य केवल गाय के दूध का ही सेवन करता रहे तो उसका शरीर व जीवन न केवल सुचारू रूप से चलता रहेगा वरन् वह अन्य लोगों की अपकक्षा सशक्त और रोग प्रतिरोधक क्षमता से संपन्न हो जाएगा। मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व इसमें होते हैं। गाय के एक पौण्ड दूध से इतनी शक्ति मिलती है, जितनी की 4 अण्डों और 250 ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं होती। देशी गाय के दूध में विटामिल ए-2 होता है जो कि कैंसरनाशक है, जबकि जर्सी(विदेशी) गाय के दूध में विटामिन ए-1 होता है जो कि कैंसरकारक है। भैंस के दूध की तुलना में भी गौदुग्ध अत्यन्त लाभकारी है।
दस्त या आंव हो जाने पर ठंडा गौदुग्ध(1 गिलास) में एक नींबू निचोडक़र तुरन्त पी जावें। चोट लगने आदि के कारण शरीर में कहीं दर्द हो तो गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीवें। टी.बी. के रोगी को गौदुग्ध पर्याप्त मात्रा में दोनों समय पिलाया जाना चाहिए।
4. दही : – गर्भिणी यदि चाँदी के कटोरी में दही जमाकर नित्य प्रात: सेवन करे तो उसका सन्तान स्वस्थ, सुन्दर व बुद्धिवान होता है। गाय का दही भूख बढ़ाने वाला, मलमूत्र का नि:सरण करने वाला एवं रूचिकर है। केवल दही बालों में लगाने से जुएं नष्ट हो जाते हैं। बवासीर में प्रतिदिन छाछ का प्रयोग लाभकारी है। नित्य भोजन में दही का सेवन करने से आयु बढ़ती है।
कुछ प्रयोग :-
* अनिद्रा में गौघृत कुनकुना करके दो-दो बूंद नाक में डालें व दोनों तलवों में घृत से 10 मिनट तक मालिश करें। यही प्रयोग मिर्गी, बाल झडऩा, बाल पकना व सिर दर्द में भी लाभकारी है।
* घाव में गौघृत हल्दी के साथ लगावें। * अधिक समय तक ज्वर रहने से जो कमजोरी आ जाती है उसके लिए गौदुग्ध में 2 चम्मच घी प्रात: सायं सेवन करें। * भूख की कमी होने पर भोजन के पहले घी 1 चम्मच सेंधानमक नींबू रस लेने से भूख बढ़ती है।
गौघृत से विभिन्न प्रकार की औषधियाँ भी बनती है – अष्टमंगल घृत, पञ्चतिक्त घृत, फलघृत, जात्यादि घृत, अर्शोहर मरहम आदि।
गाय एक पर्यावरण शास्त्र :
1. गाय के रम्भाने से वातावरण के कीटाणु नष्ट होते हैं। सात्विक तरंगों का संचार होता है।
2. गौघृत का होम करने से आक्सीजन पैदा होता है।
– वैज्ञानिक शिरोविचा, रूस
3. गंदगी व महामारी फैलने पर गोबर गौमूत्र का छिडक़ाव करने से लाभ होता है।
4. गाय के प्रश्वांस, गोबर गौमूत्र के गंध से वातावरण शुद्ध पवित्र होता है।
5. घटना – टी.बी. का मरीज गौशाला मे केवल गोबर एकत्र करने व वहीं निवास करने पर ठीक हो गया।
6. विश्वव्यापी आण्विक एवं अणुरज के घातक दुष्परिणाम से बचने के लिए रूस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक शिरोविच ने सुझाव दिया है –
* प्रत्येक व्यक्ति को गाय का दूध, दही, छाछ, घी आदि का सेवन करना चाहिए।
* घरों के छत, दीवार व आंगन को गोबर से लीपने पोतने चाहिए।
* खेतों में गाय के गोबर का खाद प्रयोग करना चाहिए।
* वायुमण्डल को घातक विकिरण से बचाने के लिए गाय के शुद्ध घी से हवन करना चाहिए।
7. गाय के गोबर से प्रतिवर्ष 4500 लीटर बायोगैस मिल सकता है। अगर देश के समस्त गौवंश के गोबर का बायोगैस संयंत्र में उपयोग किया जाय तो वर्तमान में ईंधन के रूप में जलाई जा रही 6 करोड़ 80 लाख टन लकउ़ी की बचत की जा सकती है। इससे लगभग 14
करोड़ वृक्ष कटने से बच सकते हैं।
गाय एक अर्थशास्त्र :
सबसे अधिक लाभप्रद, उत्पादन एवं मौलिक व्यवसाय है ‘गौपालन’। यदि एक गाय के दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र का पूरा-पूरा उपयोग व्यवसायिक तरीके से किया जाए तो उससे प्राप्त आय से एक परिवार का पलन आसानी से हो सकता है।
यदि गौवंश आधारित कृषि को भी व्यवसाय का माध्यम बना लिया जाए तब तो औरों को भी रोजगार दिया जा सकता है।
* गौमूत्र से औषधियाँ एपं कीट नियंत्रक बनाया जा सकता है।
* गोबर से गैस उत्वादन हो तो रसोई में ईंधन का खर्च बचाने के साथ-साथ स्लरी खाद का भी लाभ लिया जा सकता है। गोबर से काला दंत मंजन भी बनाया जाता है।
* घी को हवन हेतु विक्रय करने पर अच्छी कीमत मिल सकती है। घी से विभिन्न औषधियाँ (सिद्ध घृत) बनाकर भी बेची जा सकती है।
* दूध को सीधे बेचने के बजाय उत्पाद बनाकर बेचना ज्यादा लाभकारी है।
गाय एक कृषिशास्त्र :मित्रों! गौवंश के बिना कृषि असंभव है। यदि आज के तथकथित वैज्ञानिक युग में टै्रक्टर, रासायनिक खाद, कीटनाशक आदि के द्वारा बिना गौवंश के कृषि किया भी जा रहा है, तो उसके भयंकर दुष्परिणाम से आज कोई अनजान नहीं है।
यदि कृषि को, जमीन को, अनाज आदि को बर्बाद होने से बचाना है तो गौवंश आधारित कृषि अर्थात् प्राकृतिक कृषि को पुन: अपनाना अनिवार्य है।

गौभूमि न्यूज !  गाय के दूध और घी ही नहीं बल्कि मूत्र व गोबर में भी दवा का भंडार छिपा है। गो मूत्र के सेवन से अनेकों प्रकार की बीमारियों का नाश होता है। भारतीय संस्कृति की हर परम्परा, रीति-रिवाज तथा त्योहार क ा खास महत्व है। इसमें गौ पूजा, पीपल पूजा, गंगा मैय्या की पूजा और तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। 
 जिस तरह गाय का दूध, घी, मूत्र व गोबर से मनुष्य को लाभ होता है उसी तरह पीपल का पेड़ व्यक्ति को आक्सीजन प्रदान करता है। इसलिए पीपल की पूजा करने का विधान है। मगर चिंता की बात है कि आज मनुष्य भारतीय संस्कृति को भूलता जा रहा है। आज गंगा प्रदूषित होती जा रही हैं। व्यक्ति का खान-पान, रहन-सहन बदलता जा रहा है। जूस की जगह कोल्ड ड्रिंक और पौष्टिक आहार की जगह न्यूडल, बर्गर ने ले ली है। यह सब चीजें व्यक्ति को बीमारियों की तरफ धकेल रही हैं। 

गौ मुत्र एक दवा

गौमूत्र रोगों पर कैसे विजयी होता है?
अनिल मालवीय, संपादक, गौभूमि समाचार-9752398636
1. गौमूत्र में किसी भी प्रकार के कीटाणु नष्ट करने की चमत्कारी शक्ति है। सभी कीटाणुजन्य व्याधियाँ नष्ट होती हैं।
2. गौमूत्र दोषों (त्रिदोष) को समान बनाता है। अतएव रोग नष्ट हो जाते हैं।
3. गौमूत्र शरीर में यकृत (लिवर) को सही कर स्वच्छ खून बनाकर किसी भी रोग का विरोध करने की शक्ति प्रदान करता है।
4. गौमूत्र में सभी तत्त्व ऐसे हैं, जो हमारे शरीर के आरोग्यदायक तत्त्वों की कमी की पूर्ति करते हैं।
5. गौमूत्र में कई खनिज, खासकर ताम्र होता है, जिसकी पूर्ति से शरीर के खनिज तत्त्व पूर्ण हो जाते हैं। स्वर्ण क्षार भी होने से रोगों से बचने की यह शक्ति देता है।
6. मानसिक क्षोभ से स्नायु तंत्र (नर्वस सिस्टम) को आघात होता है। गौमूत्र को मेध्य और हृद्य कहा गया है। यानी मस्तिष्क एवं हृदय को शक्ति प्रदान करता है। अतएव मानसिक कारणों से होने वाले आघात से हृदय की रक्षा करता है और इन अंगों को होने वाले रोगों से बचाता है।
7. किसी भी प्रकार की औषधियों की मात्रा का अतिप्रयोग हो जाने से जो तत्त्व शरीर में रहकर किसी प्रकार से उपद्रव पैदा करते हैं उनको गौमूत्र अपनी विषनाशक शक्ति से नष्ट कर रोगी को निरोग करता है।
8. विद्युत तरंगें हमारे शरीर को स्वस्थ रखती हैं। ये वातावरण में
विद्यमान हैं। सूक्ष्मातिसूक्ष्म रूप से तरंगंे हमारे शरीर में गौमूत्र से प्राप्त ताम्र के रहने से ताम्र के अपने विद्युतीय आकर्षक गुण के कारण शरीर से आकर्षित होकर स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।
9. गौमूत्र रसायन है। यह बुढ़ापा रोकता है। व्याधियों को नष्ट करता है।
10. आहार में जो पोषक तत्त्व कम प्राप्त होते हैं उनकी पूर्ति गौमूत्र में विद्यमान तत्त्वों से होकर स्वास्थ्य लाभ होता है।
11. आत्मा के विरुद्ध कर्म करने से हृ्रदय और मस्तिष्क संकुचित होता है, जिससे शरीर में क्रिया कलापों पर प्रभाव पड़कर रोग हो जाते हैं। गौमूत्र सात्विक बुद्धि प्रदान कर, सही कार्य कराकर इस तरह के रोगों से बचाता है।
12. शास्त्रों में पूर्व कर्मज व्याधियाँ भी कही गयी हैं जो हमें भुगतनी पड़ती हैं। गौमूत्र में गंगा ने निवास किया है। गंगा पाप नाशिनी है, अतएव गौमूत्र पान से पूर्व जन्म के पाप क्षय होकर इस प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं।
13. शास्त्रों के अनुसार भूतों के शरीर प्रवेश के कारण होने वाले रोगों पर गौमूत्र इसलिए प्रभाव करता है कि भूतों के अधिपति भगवान शंकर हैं। शंकर के शीश पर गंगा है। गौमूत्र में गंगा है, अतएव गौमूत्र पान से भूतगण अपने अधिपति के मस्तक पर गंगा के दर्शन कर, शान्त हो जाते हैं। और इस शरीर को नहंीं सताते हैं। इस तरह भूताभिष्यंगता रोग नहीं होता है।
14. जो रोगी वंश परंपरा से रोगी हो, रोग के पहले ही गोमूत्र कुछ समय पान करने से रोगी के शरीर में इतनी विरोधी शक्ति हो जाती है कि रोग नष्ट हो जाते हैं।
15. विषों के द्वारा रोग होने के कारणों पर गौमूत्र विषनाशक होने के चमत्कार के कारण ही रोग नाश करता है। बड़ी-बड़ी विषैली औषधियाँ गौमूत्र से शुद्ध होती हैं। गौमूत्र, मानव शरीर की रोग प्रतिरोधनी शक्ति को बढ़ाकर, रोगों को नाश करने की क्षमता देता है। प्उउनदपजल च्वूमत देता है। निर्विष होते हुए यह विषनाशक है।

कैंसर सहित कई बीमारियों के लिए गौ-मूत्र रामबाण

हिंदू धर्म शास्त्रों में गाय को ‘मां’ के रूप में पूजा जाता है. जर्मन के एक वैज्ञानिक अनुसार गौ-मूत्र सुबह खाली पेट पीने से कैंसर ठीक हो जाता है.
हिंदू धर्म शास्त्रों में गाय को माता कहा गया है. हिंदू धर्म में यह विश्वास है की गाय प्राकृतिक कृपा की प्रतिनिधि है इसलिए इस की पूजा व रक्षा हर हिंदू का धर्म है.

वैदिक मान्यताओं के अनुसार गाय के शारीर में 33 करोड़ देवता वास करते है इसलिए गौ सेवा करने से सभी 33 करोड़ देवता खुश होते है.
गाय एक शुद्धता सरलता, सौम्यता और सात्विकता की मूर्ति है. गौ माता की पीठ में ब्रह्म, गले में विष्णु तथा मुख में रूद्र निवास करते है. मध्यम भाग में सभी देवगण और रोम-रोम में सभी मह्रिषी  वास करते है श्री कृष्ण को हम गोपाल कृष्ण गोविन्द कहते है अर्थात गौ के पालनहार.
गौ-माता पृथ्वी, ब्रहृामण और देव की प्रतीक है. गौ रक्षा, गौ संवर्धन हिन्दुओं के आवश्यक कर्त्तव्य माने जाते है. सभी प्रकार दान में गौ-दान सर्वोपरि माना जाता है.
गौ माता की सेवा के वैज्ञानिक आधार-औषधीय गुण
1. गौ-माता का दूध अमृत के सामान है. इनके दूध से दूध घी, माखन से मानव शारीर पुष्ट होता है और बूढी तीव्र होती है.
2. गौ-माता के दूध से चुस्ती, स्फूर्ति एवं सकारात्मकता बनी रहती है.
3. गौ-माता का मूत्र पीने से कैंसर एवं टी.बी जैसी भयंकर बिमारियां दूर होती है. पेट से सम्बंधित साड़ी बीमारियां ठीक हो जाती है.
4. हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्ज, रोग एवं शत्रु या किसी समस्या से मुक्ति पाने के लिए गौ माता की सेवा करनी चाहिए.
5. हाथ-पैर एमें जलन हो तो गाय का घी लगाने से तुरंत आराम मिलता है.
6. शराब, गांजा या भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो गौ-माता के शुद्ध घी में दो तोला चीनी मिला कर पिलाने से 15 मिनट में नशा उतर जाएगा.
7. आग से जल जाने पर इन के शुद्ध घी को लगाने से फफोले नहीं पड़ते एवं जलन भी कम हो जाती है.
8. बच्चों को सर्दी कफ हो जाने पर उनकी छाती एवं पीठ पर गाय का घी लगाने से अद्भुत आराम मिलता है.
9. यदि सांप काट ले तो 100 से 150 ग्राम गाय का शुद्ध घी पिला कर 45 मिनट बाद गर्म पानी पिलाने से उलटी दस्त लग जाएंगे. जिससे ज़हर का असर कम हो जाएगा.
वैज्ञानिक महत्व
गाय धरती पर एकमात्र ऐसा प्राणी है जो आक्सीजन ग्रहण करता है. साथ ही आक्सीजन ही छोड़ता है.
गाय के मूत्र में पोटाशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया एवं यूरिक असिड होता है.
दूध देते समय गाय में मूत्र में लाक्टोसे की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगों के लिए लाभकारी है.
गौ माता का दूध फेट रहित परन्तु शक्तिशाली होता है. उसे कितना भी पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग में भी लाभदायक होता है.
गौ माता के गोबर के उपले जलने से मक्खी मछर आदि कीटाणु नहीं होते तथा दुर्गन्ध का भी नाश होता है.
गौ-मूत्र सुबह खाली पेट पीने से कैंसर ठीक हो जाता है. गौ माता के सींगो से उन्हें प्राकर्तिक उर्जा मिलती है. जो गौ माता की रक्षा कवच है.
गौमाता के गोबर में विटामिन बी-12 बहुत मात्रा में है. यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है.
गौ-माता के शारीर पर प्रतिदिन 15-20 मिनट हाथ फेरने से ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी एकदम ठीक हो जाती है.
गौ-माता के शरीर से निकलने वाली सात्विक तरंगे आस-पास के वायुमंडल को प्रदूषणरहित बनती है.
गौ-माता के शारीर से प्राकर्तिक रूप से गूगल की गंध निकलती है.
गौ या उसके बछड़े के रंभाने से निकलने वाली आवाज़ मंदिक विकृतियों तथा रोगों को नष्ट करती है.
इन सभी तथ्यों की जर्मन के कृषि वैज्ञानिक डॉ. जुलिशुस एवं डॉ. बुक ने भी पुष्टि की है.
अमरीकन वैज्ञानिक जेम्स  मार्टिन के अनुसार गाय का गोबर एवं खमीर को समुद्र के पानी के साथ मिला कर ऐसा केमिकल बनाया जो बंजर भूमि को हरा-भरा कर देता है. सूखे तेल के कुए में फिर से तेल आ जाता है.
गौ मॉस खाने वाले सावधान
यूनानी चिकित्सा के अनुसार गाय का मॉस बड़ा सख्त होता है. तथा पचाने में कठिन होता है. इस कारण से खून गाढ़ा हो जाता है. पीलिया तथा कोढ़ जैसी बिमारियां पैदा होती है.
हर मानव का कर्त्तव्य एवं धर्म है की पर्यावरण और मानव जाति के उत्थान एव  कल्याणार्थ गौ-माता की रक्षा करें .

Saturday, October 17, 2015

भाजपा पर लालू का हमला, बोले- ‘कुत्ते पालने वाले गौ-पालकों को न सिखाएं’


पटना: गोमांस पर विवादित बयान के बाद भाजपा के निशाने पर आए राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मंगलवार को भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि भाजपा वालों के घर में गाय नहीं, कुत्ते बंधे रहते हैं।

ट्वीट कर भाजपा पर जमकर हमला बोला
पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू यादव ने मंगलवार को लगातार सात ट्वीट कर भाजपा पर जमकर हमला बोला। लालू ने लिखा, "कुत्ते पालने वाले हम गौ-पालकों को न सिखाएं। भाजपा वालों के घर में गाय नहीं, कुत्ते बंधे रहते हैं और घर के बाहर लिखा होता है 'कुत्तों से सावधान'।

मेरी गौशाला में हरदम 100-500 गायें रहती हैं
गाय पालने को लेकर ही लालू ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, "हमारी पवित्र गौ-माता के बारे में बात करने से पहले इन पाखंडियों से पूछो कि गौ-सेवा करने के लिए इनमें से कितनों के पास अपनी गौशाला है? मेरी गौशाला में हरदम 100-500 गायें रहती हैं। हमारे कुल देवता से लेकर अब तक हम लोगों का गाय माता को पालने का गौरवशाली इतिहास रहा है।"

भाजपा को बताया अफवाह फैलाने वाली पार्टी
पूर्व मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने भाजपा को अफवाह फैलाने वाली पार्टी बताते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा, "ये अफवाह पार्टी के लोग बहुत बुरी तरह हार रहे हैं, जब इन्हें कुछ मुद्दा नहीं मिला तो अपने पुराने आजमाए हुए सांप्रदायिक के रास्ते पर आ गए हैं। कहां गया भाजपा का छद्म विकास का एजेंडा? ये बिहार है जुमला बाबू, यहां की जागरूक जनता तुम्हारी तुच्छ करतूतों को भली भांति जानती है।"

लालू ने दिया था गोमांस पर एक विवादास्पद बयान
उल्लेखनीय है कि तीन दिन पहले लालू ने गोमांस पर एक विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा था, "हिंदू भी गोमांस खाते हैं। हिंदू बाहर जाते हैं, तो नहीं खाते हैं क्या? सभी मांस और गोमांस खाते हैं, हिंदू भी मांस और गोमांस खाते हैं। जो मांस खाता है, उसके लिए गोमांस क्या और बकरा का मांस क्या।" लालू ने हालांकि बाद में सफाई देते हुए कहा था कि उनके मुंह में शैतान प्रवेश कर गया था और उसी ने यह बात कहलवाई। 

गौमाता की घटती संख्या पर हम सब को करना होगा विचार : हृदयनाथ


श्योपुर | आदिवासी विकासखंड कराहल के ग्राम गोरस में गुरुवार को गोपालक सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में पंचायत राज्य गौसंवर्धन एवं नमामि गंगे परियोजना के अखिल भारतीय प्रभारी हृदयनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस दौरान हृदयनाथ सिंह ने संबोधित करते हुएक कहा कि हम सबको गायों की घटती संख्या पर चिंता करने की जरुरता है। गौमाता के चलते ही किसी समय में हमारे देश को सोने की चिडिय़ा कहा जाता था। इस दौरान 36 गांवों से आए गौपालकों ने अपनी समस्याएं बताईं, जिस पर हृदयनाथ सिंह ने समस्या निराकरण कराने का आश्वासन दिया। पूर्व विधायक विजयपुर बाबूलाल मेवरा, दिल्ली से आए सुषमा सिंह, चंद्रवीर सिंह, भारत भूषण, श्यामबिहारी आचार्य, नंदा गुर्जर आदि मौजूद रहे। 
भारत में गौ हत्या कानून और गौ मांस की बिक्री 

भारत में गौ हत्या कानून और गौ मांस की बिक्री को लेकर पिछले कुछ महीनों से चर्चा तेज है. हाल ही में बीते बकरीद के त्यौहार पर इस चर्चा ने और जोर पकड़ा, जब स्थानीय कानून के खिलाफ जाकर श्रीनगर में गौ हत्या के कई मामले हुए कुर्बानी के नाम पर. इस दौरान हिंसा भी हुई. यूपी में अखलाक की हत्या को लेकर भी गौ हत्या कानून, गौ मांस की बिक्री और सेवन का मुद्दा चर्चा के केंद्र में है. सवाल उठता है कि आखिर उत्तर प्रदेश में गौ हत्या को लेकर सख्त कानून कैसे बना. दरअसल उत्तर प्रदेश में इसे लेकर जो कानून  है, वो 1955 से ही लागू है. इस कानून के तहत ‘बीफ’ की परिभाषा भी दी गई है, जिसके मुताबिक बीफ से आशय गाय, सांढ और बैल के मांस से हैं.
जहां तक गाय का सवाल है, उसकी परिभाषा में गाय के बछड़े और बछिया को भी शामिल किया गया है. इस कानून के तहत गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है यानी गाय कितनी भी बूढ़ी क्यों न हो जाए, उसकी हत्या नहीं की जा सकती. सांढ़ या बैल को भी तभी मारा जा सकता है, जब वो या तो पंद्रह साल से ज्यादा के हो चुके हों या फिर खेती के काम या प्रजनन के उपयुक्त नहीं रह गये हों. ऐसे जानवरों को भी मारे जाने के पहले ‘फिट फॉर स्लॉटर सर्टिफिकेट’ हासिल करना आवश्यक है.

जहां तक गाय का सवाल है, उसे वध करने के लिए राज्य के बाहर भी ले जाना प्रतिबंधित है. सबसे बड़ी बात ये कि उम्रदराज बैल या सांढ़ को मारा तो जा सकता है, लेकिन बीफ की बिक्री नहीं हो सकती है यानी इन पशुओं का मांस बेचा नहीं जा सकता. अगर इस अपराध के तहत कोई पकड़ा जाता है, तो जो धाराएं लगाई जाती हैं, वो संज्ञेय और गैर-जमानती हैं. दोषी पाये जाने पर दो साल तक की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.
1955 में जब ये कानून बना, तो उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे गोविंद वल्लभ पंत. पंत आजादी पहले भी तत्कालीन संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री 1937 से 1939 तक रहे थे. उसके बाद 1946 से लेकर 1955 तक वो लगातार मुख्यमंत्री रहे, गुलामी से लेकर आजादी तक का सफर यूपी ने उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान ही पूरा किया. उसी काल में उत्तर प्रदेश में गौ हत्या प्रतिबंध कानून बना, जो आजतक चला आ रहा है. पंत 1955 से लेकर अपनी मौत यानी 7 मार्च, 1961 तक नेहरु की सरकार में लगातार केंद्रीय गृह मंत्री बने रहे. सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश में, जहां 1955 में भी मुस्लिम आबादी बड़ी तादाद में थी, इतना सख्त गौ हत्या कानून बना कैसे, वो भी तब जब नेहरु अपने विचारों में काफी उदारवादी थे और पंत उनके खास सहयोगी, कांग्रेस पार्टी के अंदर.

इस संबंध में एक प्रसंग काफी रोचक है, जो आरएसएस के चौथे सरसंघचालक राजेंद्र सिंह, जिन्हें उनके जानने वाले ‘रज्जू भैया’ के नाम से जानते थे, की आत्मकथा संबधी पुस्तक में वर्णित है. ‘हमारे रज्जू भैया’ नामक इस किताब के पृष्ठ 366-367 पर वीरेंद्र कुमार सिंह चौधरी का संस्मरण है, जो एक समय उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता रह चुके थे. चौधरी लिखते हैं कि 1954 के आसपास की बात है, जब इलाहाबाद के ही रहने वाले प्रभुदत्त ब्रह्मचारी नामक संत ने यूपी में गोरक्षा अभियान चला रखा था. चौधरी खुद उस समिति के महामंत्री थे, जिसके बैनर तले आंदोलन चल रहा था. चौधरी के शब्दों में – उस संबंध में ब्रह्मचारीजी रज्जू भैया को लेकर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. गोविंद वल्लभ पंत से मिलने गए.
ब्रह्मचारीजी का पूर्ण मौन टूट चुका था, पर वे फिर भी बोलते न थे, लिखकर बात करते थे. इसलिए रज्जू भैया (जिनके उपर उनका अनन्य स्नेह व विश्वास था) को साथ लेकर भेंट हुई. पंतजी को भी अपने प्रदेश के प्रथम भारतीय अभियंता के यशस्वी युवा पुत्र पर स्नेह व अभिमान था और रज्जू भैया के हृदय में पंतजी के प्रति अपार श्रद्धा. जब गोरक्षा विधेयक के बारे में बात शुरु हुई, तो राजनीतिज्ञ की भांति पंतजी ने कहा, “रज्जू, तू क्या जाने, अधिनियम बनाने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है? कौन सी बातें विचारणीय हैं? सबकी राय व सहमति से ही कानून बन सकता है.” रज्जू भैया ने कुछ कहने का प्रयास किया. पर पंतजी अपनी बात पर डटे रहे. अंत में कहा, “देख रज्जू, मेरी तुझसे दुगनी आयु है. जब तू मेरी आयु का होगा, तब समझेगा कि सहमति कैसे बनती है. उसे बनाने में जल्दबाजी नहीं चलेगी.” तब एकाएक रज्जू भैया ने कहा, “पंतजी, मैं दुगनी गति से जीवन जी रहा हूं.” सुनकर पंतजी ठहाका मारकर जोर से हंस पड़े. कहा, “अच्छा रज्जू, तू जीता. कानून बनेगा.” और उत्तर प्रदेश में गोवध निवारण अधिनियम आया.

ध्यान रहे कि उस वक्त राजेंद्र सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के अध्यापक थे. 1943 से लेकर 1966 तक उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय मे भौतिकी पढ़ाई, जहां एक समय वो खुद छात्र रहे थे. राजेंद्र सिंह 1994 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के चौथे प्रमुख यानी सरसंघचालक बने. सवाल उठता है कि क्या वाकई कांग्रेस के एक बड़े स्तंभ और उत्तम प्रशासक रहे गोविंद वल्लभ पंत ने आरएसएस के एक नेता के कहने पर उत्तर प्रदेश में गो हत्या निषेध कानून बनाया. आज इसका जवाब देने के लिए न तो पंत हमारे सामने हैं और न ही राजेंद्र सिंह. अगर कुछ बचा है तो बस उस दौर के संस्मरण.
गौहत्या पर प्रतिबंध के लिए देश में बने सख्त कानून: शाही इमाम

नई दिल्ली। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने देश में साम्प्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे को कायम रखने के लिए गौहत्या पर पाबंदी लगाने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की है। बुखारी ने आज यहां एक बयान में कहा कि दादरी के बिसाहड़ा गांव की घटना में शामिल साम्प्रदायिक तत्व इसे हिन्दू-मुस्लिम मसला बनाकर पेश कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश प्रशासन साम्प्रदायिक तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है और कुछ लोगों को वहां जाने दिया गया जिससे माहौल खराब हुआ।
उत्तर प्रदेश सरकार पर लगाया आरोप
उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में भी इसी तरह माहौल खराब किया गया था, जिससे वहां भयंकर दंगा हुआ था। उत्तर प्रदेश सरकार और साम्प्रदायिक तत्वों के बीच सांठगांठ होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में माहौल खराब है। शाही इमाम ने कहा कि आज तक किसी भी मुस्लिम नेता ने देश में गौहत्या का समर्थन नहीं किया है, बल्कि मुसलमानों को हमेशा यह समझाया है कि हिन्दू समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए इससे दूर रहना चाहिए।
पुलिस की भूमिका पर भी संदेह खड़ा किया
उन्होंने कहा कि देश में कहीं भी पाबंदी के बावजूद अगर गाय काटने की घटना होती है तो उसमें पुलिस की भी भूमिका होती है। बुखारी ने पूरे मुल्क में गौहत्या पर पाबंदी के लिए कानून बनाने की मांग करते हुए कहा कि इसके तहत गौहत्या करने के लिए गाय बेचने, मारने और इसमें मदद करने वाले लोगों के खिलाफ एक समान सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए। इससे देश में आपसी भाईचारे को कायम रखा जा सकेगा।

बीफ के आयात-निर्यात और देशभर में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाए केंद्र सरकार : हाईकोर्ट


हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को गौहत्या पर राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था बनाने के आदेश जारी किये हैं.
हाईकोर्ट ने गोवध, गोवंशियों के आयात-निर्यात और गोमांस व गोमांस से बने उत्पादों को प्रतिबंधित करने वाले कानून को देश भर में प्रभावी रूप से लागू करने पर विचार करने के भी आदेश दिये हैं. हाईकोर्ट ने इसके लिए केंद्र सरकार को तीन महीने का समय दिया है.

न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने गौवंश संरक्षण एवं संवद्र्धन परिषद, हिमाचल प्रदेश की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिये. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 6 जनवरी को सम्बंधित केन्द्रीय सचिव अनुपालन शपथ पत्र पेश करें.

अदालत ने अपने आदेश में ये भी साफ कहा है कि भारतीय संविधान सभी धर्मों को एक समान आदर करने की गारंटी देता है. धर्म निरपेक्षता भारतीय संविधान का मूल आधार है. हमारे देश का संविधान इस बात की अनुमति नहीं देता है कि किसी भी व्यक्ति की धर्म से जुड़ी भावनाओं को आघात पहुंचाया जाए.
हाईकोर्ट ने अपने पिछले आदेशों की अनुपालन नहीं होने पर हिमाचल प्रदेश के जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को भी कहा है. हाई कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंताओं को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि कोई भी लावारिस पशु उनके अधिकार क्षेत्र में सड़कों पर नजर नहीं आना चाहिए.

न्यायालय ने हिमाचल के मुख्य सचिव को भी आदेश दिए हैं कि वे जिम्मेवार अधीक्षण अभियंताओं पर कार्रवाई करें. इसके अलावा नगर निगम शिमला के आयुक्त, नगर परिषदों के कार्यकारी अधिकारियों, नगर पंचायतों, ग्राम पंचायतों के प्रधानों के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश भी अमल में लाने के निर्देश जारी किए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी 2016 को होगी.

अदालत ने राज्य की सभी ग्राम पंचायतों से कहा कि वे छह माह के भीतर ग्राम सचिवों के जरिए सभी तरह के पशुओं पर माइक्रो चिप चिपकाएं. चिप में पशुओं की यूनिक आईडी भी हो ताकि उसे आसानी से पढ़ा जा सके और पशुमालिक की पहचान हो सके.
गौरतलब है कि देश के अलग-अलग राज्यों में गोहत्या को रोकने और गोमांस बेचने पर प्रतिबंध के अलग-अलग कानून हैं. कई राज्यों में इस पर पूर्ण प्रतिबंध है तो कहीं आंशिक रोक है.

गौहत्या में शामिल नेताओं को मार खाने से कोई नहीं रोक सकता: साक्षी

भुवनेश्वर: उड़ीसा के भुवनेश्वर में आयोजित इंटरनेशनल हिंदू महासभा की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा, ‘‘नेताओं को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है अन्यथा उन्हें सार्वजनिक जगहों पर मार खाने से कोई नहीं रोक सकता। 
इस दौरान साक्षी महाराज ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल राशिद की पिटाई करने वाले अपनी पार्टी के विधायक का समर्थन भी किया। उन्होंने इसे राशिद के कदम पर इसे बीजेपी विधायक की ‘स्वाभाविक प्रतिक्रिया’ करार दिया। उन्होंने कहा कि नेता हो या आम जनता उन्हें लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए। साक्षी महाराज ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर के निर्दलीय विधायक पर हमला सिर्फ एक प्रतिक्रिया थी। उनके काम ने लोगों की भावनाओं को आहत किया और इस कारण उनकी पिटाई हुई।’’
 
गौरतलब है कि हाल ही में राशिद द्वारा श्रीनगर में बीफ पार्टी का आयोजन करने पर विधानसभा में बीजेपी विधायक ने उनकी पिटाई कर दी थी। गाय की सुरक्षा की वकालत करते हुए साक्षी महाराज ने कहा कि गौहत्या करने वालों के खिलाफ कड़े कानून होने चाहिए। इस दौरान उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विवादित बयान का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा कि मुसलमानों को बीफ खाना बंद कर देना चाहिए।
 
मोदी सरकार में ही बनेगा राममंदिर-
साक्षी महाराज ने राम मंदिर मसले पर बात की और कहा कि राम मंदिर का निर्माण मोदी सरकार में बनेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह आज कल में नहीं बल्कि निश्चित रूप से मोदी सरकार में ही बनेगा।’’ 

रघुवंश प्रसाद का गौरक्षा पर बयान धर्म विरोधी : गौरक्षा दल

नंगल |गौरक्षा दलने आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद द्वारा ‘ऋषि मुनियों भी बीफ खाते थे’ दिए बयान का कड़ा नोटिस लिया है। अड्डा मार्किट में नंगल गौरक्षा दल के सदस्यों की मीटिंग में अध्यक्ष आशीष वर्मा ने मीडिया में प्रकाशित रघुवंश प्रसाद के बयान की निंदा करते हुए कहा यह बयान धर्म विरोधी है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। इस बयान ने रघुवंश प्रसाद को हमेशा के लिए हिंदू धर्म का अपराधी बना दिया है। आशीष वर्मा ने शहर के लोगों को गौरक्षा के लिए सहयोग की अपील की। गौरक्षा दल के सदस्यों ने सरकार से मांग की कि देश में गौ हत्या और बीफ पार्टियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में गाय का सर्वोच्च स्थान है और यह हमारे लिए पूजनीय है। गौरक्षा दल गायों के साथ किए जा रहे ऐसे व्यवहार को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा। बीफ पार्टियां हमारी संस्कृति के बिल्कुल खिलाफ है। गौ हत्या और बीफ पार्टियों पर रोक के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए, जिसमें कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए। 

झांकियों में झलके ग्राम स्वराज, गौरक्षा और स्वच्छता अभियान के संदेश

गौरक्षा का संदेश 

दस नबंर मार्केट में मेन रोड पर सजाई गई झांकी में गौ रक्षा व संरक्षण का संदेश दिया गया है। 

स्वच्छता अभियान : काटजू अस्पताल के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का संदेश झांकी के माध्यम से दिया जा रहा है। 

फूल मार्केट में गोकुल धाम : फूल मार्केट, दस नंबर की झांकी में गोकुल धाम के माध्यम से ग्राम स्वराज का दृश्य।

भोपाल : महिलाओं की चेन लूटने वाले गिरोह का सरगना पूर्व क्रिकेटर, पुलिस ने पांच को धरदबोचा

भोपाल: दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों में मोटरसाइकिल चोरी कर महिलाओं के गले से चेन लूटने की करीब 76 वारदातों को अंजाम देने वाले गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। गिरोह का 30 वर्षीय सरगना मध्यप्रदेश की अंडर-19 क्रिकेट टीम का खिलाड़ी रह चुका है।

मध्यप्रदेश की अंडर-19 क्रिकेट टीम में खेल चुका है मुर्तजा अली
जहांगीराबाद क्षेत्र के नगर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) सलीम खान ने आज बताया कि पुलिस ने आरोपी मुर्तजा अली (30), शादाब (23), हैदर (19), गुफरान (19) और राजा अली (18) को कल गिरफ्तार कर आज अदालत में पेश किया। अदालत ने आरोपियों को 22 दिन तक पुलिस हिरासत में रखने के आदेश दिए हैं।

उन्होंने बताया कि गिरोह का मुख्य आरोपी मुर्तजा अली मध्यप्रदेश की अंडर-19 क्रिकेट टीम में खेल चुका है। उन्होंने बताया कि आरोपियों से 4 पल्सर मोटरसाइकिल तथा 10 सोने की चेनें बरामद की गई हैं। खान ने बताया कि गिरोह ने मप्र के अलावा दक्षिणी राज्यों के विभिन्न शहरों में लगभग 76 वारदातों को अंजाम देना कबूल किया है।

कामकाजी महिलाओं को बनाते थे निशाना
उन्होंने बताया कि आरोपी महिलाओं के गले से चेन लूटने के लिए चोरी की बाइक का उपयोग करते थे। वह ऑफिस जाने के समय कामकाजी महिलाओं को निशाना बनाते थे। सीएसपी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इसमें और वारदातों का खुलासा होने की उम्मीद है।

भोपाल भेलः कर्मचारियों ने अपना हक मांगा, तो बनाया बंधक

भोपाल/भेल। गोविंदपुरा उद्योग क्षेत्र स्थित भोपाल इंसीनिरेटर लिमिटेड प्रबंधन पर शुक्रवार को वहां के कर्मचारियों ने बंधक बनाने का आरोप लगाया है। इन कर्मियों की गलती यह थी कि दो दिन पहले इन लोगों ने कम वेतन मिलने और कंपनी द्वारा कर्मियों के हितों का ख्याल नहीं रखा जाने को लेकर हड़ताल कर दी थी। शुक्रवार को प्रबंधन ने मुख्य द्वार पर ताला बंद कर इन कर्मियों को सुबह से परिसर में रखे रहे। यहां तक कि मीडिया को भी इनसे बात नहीं करने दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार भोपाल इंसीनिरेटर लिमिटेड के लगभग 32 कर्मचारी वेतन और सुविधाएं नहीं मिलने को लेकर बीते 15 दिन से हड़ताल पर थे। दो दिन पहले बोर्ड ऑफिस पर इन लोगों ने धरना दिया, जहां एसडीएम का आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल खत्म कर दी थी।
भोपाल इंसीनिरेटर लिमिटेड कर्मचारी- श्रमिक संघ के महामंत्री मो. ताहिर खान ने बताया कि शुक्रवार की सुबह जब वे कारखाना पहुंचे, तो उनसे काम नहीं लिया गया और न ही कारखाने से बाहर जाने नहीं दिया। संघ के कोषाध्यक्ष राजेश रजक ने बताया कि सुबह 7 बजे से हम अंदर है। चाय- नाश्ता करने भी नहीं भेजा। एक तरह से हमें भंधक बना लिया गया। कारखाने में मौजूद पुलिस अमले से हमने कहा, तो उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की।
कर्मियों के बंधक बनाने की खबर पर मीडिया पहुंची, तो कारखाना प्रबंधक ने गेट में ताला लगा दिया। ताकि मीडिया अंदर न पहुंचे। गेट पर कर्मचारियों को भी मीडिया से बात करने से मना किया जा रहा था। इधर अशोका गार्डन थाना पुलिस को इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिसस्टाप मौके पर आ पहुंचा और लाइन आर्डर की व्यवस्था संभाली, लेकिन उद्योग के द्वार का ताला नहीं खोला गया।
नहीं उठाया मोबाइल
मीडिया ने उद्योग के चेयरमेन डॉ. आरके बिसारिया और डायरेक्टर डॉ. अनुप सिंह हजेला के मोबाइल पर कई बार संपर्क करना चाहा लेकिन दोनों के द्वारा मोबाइल फोन नहीं उठाया गया।
सूचना मिली थी कि भोपाल इंसीनिरेटर लि. उद्योग प्रबंधन द्वारा तालाबंदी कर श्रमिकों को बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। तो मैंने मौके पर पुलिस स्टाफ भेज दिया। पुलिस का काम कि लाइन ऑर्डर की व्यवस्था बनाए रखना है, जिसका मैंने पालन कराया है।
मोहन सारवान, टीआई, अशोका गार्डन