गायों की सेवा करो, रोज नवाओ शीश।
खुश होकर देंगी तुम्हें, वे लाखों आशीष।।
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बछड़े उनके जोतते, खेत और खलिया।
जिनसे पैदा हो रहे, रोटी-सब्जी-धान।।
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घास-फूस खाकर करें, दूध, दही की रेज।
इसी वजह से सज रही,मिष्ठानों की सेज।।
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गोबर करता है यहाँ, ईधन का भी काम।
गो सेवा जिसने करी, हो गये चारो धाम।।
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गो माता करतीं सदा, भव सागर से पार।
इनकी तुम सेवा करो, जीवन देंगी तार।।
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गोबर से बढ़िया नही, खाद दूसरी कोय।
डालोगे गर यूरिया, लाख बीमारी होय।।
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गो पालीं तब ही बने, कान्हा जी गोपाल।
दूध-दही से वे करें, सब को मालामाल।।
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गायों की सेवा करो, और बचाओ जान।
कान्हा आगे आयेंगे,सुख की छतरी तान।।
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बची नहीं गायें अगर, ऐसा होगा हाल।
तरसेंगे फिर दूध को,इस माटी के लाल।।
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जब भी हो अंतिम समय,करिये गैया दान।
हमको यह समझा रहे, अपने वेद पुरान।।
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!! जय गौमाता … जय गौपाला !!