कृष्ण तेरी गीता,
पढ़ने की फुर्सत नहीं।
अर्जुन बन धर्मयुद्ध,
लड़ने की फुर्सत नहीं।
जो मार्गदर्शक सारथी तुझे बना,
जीवन जीना नहीं चाहते।
वही तेरे मन्दिर में आकर,
मन चाही मुरादे मांगते।
हिन्दू स्वयं को बोलते,
हिंदुत्व की परिभाषा नहीं समझते।
गौ गंगा गीता और गायत्री का,
मान नहीं रखते, सम्वर्धन नहीं करते।
कब निजधर्म को समझेंगें,
कब नियमित गायत्री जप औ गीता का स्वाध्याय करेंगे?
कब गौ सरंक्षण करेंगे,
कब माँ गंगा को निर्मल-स्वच्छ रखेंगें?तेरे राम,कृष्णा की जन्मभूमी पर अधिकार मिलेगा
आखिर कब ? हे हिन्दुओ ऐ खामोश मजाजी आपके जीने ना देगी,जब असहिष्ण नाम धर ही दिया तो दुशमनो पर कोहराम मचाओगे कब? 🔥संजय कुमार वन्देमातरम्💥