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Monday, December 7, 2015

यू.के. से आये प्रसिद्द ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अजय कुमार शर्मा का व्याख्यान

यू.के. से आये प्रसिद्द ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अजय कुमार शर्मा का व्याख्यान

स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी मे प्रज्ञा प्रवाह के सहयोग से एक पब्लिक लेक्चर का आयोजन किया गया जिसका विषय था - लर्निंग  फ्रॉम मिस्टेक्स

रॉयल कॉलेज ऑफ़ सर्जरी यूनाइटेड किंगडम (UK) के डायरेक्टर डॉ. अजय कुमार शर्मा आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे कार्यक्रम की अध्यक्षता रिटायर्ड प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री वी.आर.खरे ने की

कार्यक्रम में समाजसेवी सिद्ध भाऊ , प्रमुख सचिव श्री अजीत केशरी के साथ साथ 'लेट अस टॉक किडनी' नामक ग्रुप के प्रमुख डॉक्टर्स भी शामिल हुए

कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार था :-

कार्यक्रम - पब्लिक लेक्चर
विषय - लर्निंग फ्रॉम मिस्टेक्स
दिनांक - 5 दिसम्बर 2015
स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी

आयोजक - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी एवं प्रज्ञा प्रवाह

मुख्य वक्ता - डॉ अजय कुमार शर्मा
इंग्लैंड के प्रख्यात ट्रांसप्लांट सर्जन
वर्तमान में डायरेक्टर सर्जिकल कोर्सेज, रॉयल कॉलेज ऑफ़ सर्जन्स, यू.के.
एसोसिएट डायरेक्टर, पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज इन ट्रांसप्लांटेशन, लिवरपूल यूनिवर्सिटी
78 इंटरनेशनल मेडिकल रिसर्च पेपर्स के लेखक
डॉ अजय कुमार शर्मा के व्याख्यान की प्रमुख बातें :-
मैं इंग्लैंड में एक ट्रांसप्लांट सर्जन हूँ और ट्रांसप्लांट सर्जन बनने का विचार मेरे दिमाग में तब से था जब मैंने डॉक्टर बनने के बारे में भी नहीं सोचा था मैंने एक कहानी पढ़ी थी जिसमें एक चिंपांजी का दिमाग एक इंसान को ट्रांसप्लांट कर दिया गया है ...इस कहानी से मुझे लगा कि कितना अच्छा होगा अगर मैं यही काम करने लगूं
एक और कहानी ने मुझे बहुत प्रेरित किया ....नील आर्मस्ट्रोंग की कहानी I एक बार नील आर्मस्ट्रोंग एक प्लेन उड़ा रहे थे अचानक उनके कम्युनिकेशन सिस्टम में खराबी आ गयी और उनको कोई सिग्नल नहीं मिल पा रहे थे तभी उन्हें समुद्र में कुछ हरियाली दिखाई दी जिसके सहारे वे तटक पहुँच गए ....उन्होंने कहा था जब कोई रास्ता नहीं बचता तब मदर नेचर हमें रास्ता दिखाती है I
भारत एकलौता देश हैं जहाँ साल भर खेती होती हैं यहाँ ढेर सारे प्राकृतिक संसाधन हैं फिर भी हम गरीब हैं क्या कारण है
मुझे इसका सबसे बड़ा कारण लगता है ..हमारे देश में 'नेशन प्राइड' की भावना का अभाव होना
मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इंग्लैंड जाने का मन बनाया क्योंकि मैं जानना चाहता था कि एक इस छोटे से द्वीप में ऐसा क्या है जिसकी दम पर उन्होंने पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़ी
मुझे वहां जाकर जो पहला लेसन मिला वह यहाँ था कि - हमारा कर्तव्य है कि हम हम अपने बच्चों के लिए एक बेहतर दुनिया छोड़कर जाएँ ...जो दुनिया मुझे मिली है यदि वही मैंने अपने बच्चों के लिए छोड़ी तो मैं अपनी ज़िन्दगी में असफल हो गया हूँ
किसी भी देश को अच्छा बनाते हैं वहां के सिस्टम्स - इंग्लैंड में रहते हुए मैंने एक बार इटली जाने का मन बनाया और इसके लिए अपने बच्चे के स्कूल में 7 दिन की छुट्टी का आवेदन किया ....स्कूल ने छुट्टी तो दे दी लेकिन उसके साथ जो पत्र भेजा मैं उसे देखकर दंग रह गया ...उसमें लिखा था कि आप अपने बच्चे की                  एक साल में अधिकतम 14 छुट्टियां ले सकते हैं यदि आपने उसे ज्यादा छुट्टियां ली तो आपके खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया जाएगा और सरकार आपके ऊपर केस चलाएगी ...यह होते हैं सिस्टम I
मैं कई सालों से यू.के. में काम कर रहा हूँ ...मैंने देखा कि वहां आपकी हर एक्टिविटी की मोनिटरिंग की जाती है इसलिए नहीं कि आपकी गलतियां पकड़ी जाएँ बल्कि इसलिए ताकि गलतियों से सीख जाये ...हमारे यहाँ 'Blame and Shame' पालिसी होती है जबकि वहां 'How to learn from errors' पालिसी से काम होता है
यदि टीम का कोई सदस्य कुछ दिन से बहुत गलतियां कर रहा है और उसका परफॉरमेंस बिगड़ रहा है तो वहां एक मीटिंग होगी ...जिसमें सभी लोग उस व्यक्ति से पूंछेंगे कि बताओ 'आपका परफॉरमेंस अच्छा करने के लिए हम क्या कर सकते हैं' भारत में ऐसा होने पर उस व्यक्ति को बुलाकर उसे सजा दे दी जाती है
अपनी पढ़ाई के दौरान मैंने भारत में हुई कुछ 'दुर्घटनाओं' की स्टडी की और पाया कि यदि सही समय पर 'बेसिक लाइफ सपोर्ट' दे दिया जाता तो हम 90% से ज्यादा मौतें कम कर सकते थे I पर भारत ने आज भी इन चीज़ों से नहीं सीखा इसलिए यहाँ किसी भी दुर्घटना के समय दुनिया से ज्यादा मौतें होती हैं
किसी भी देश को आगे बढ़ने के लिए 5 D + 1 की जरुरत होती है ये हैं - Drive, Determination, Discipline, Direction, Dedication + Democracy
मुझे ऐसा लगता है कि इस दुनिया में कोई भायशाली नहीं होता ' जो अपने काम का जितना ज्यादा अभ्यास करता है वह उतना ज्यादा भाग्यशाली बनता जाता है'