Thursday, December 31, 2015
Thursday, December 24, 2015
Thursday, December 17, 2015
Wednesday, December 9, 2015
Tuesday, December 8, 2015
गौ माँ के घी का सेवन
गाय का मतलब भारतीय नस्ल की गौ माँ -----गौ माँ का घी खाने वाले को जीवन मे कभी भी कोई रोग नहीं हो सकता है
गौ माँ के घी का सेवन करने से केन्सर जैसे रोग को ठीक करने मे बहुत सहायता मिलती है
गर्भवती माँ को गौ माँ का घी अवश्य खाना चाहिए इससे गर्भ मे पल रहा शिशु बलवान ,पुष्ट और बुद्धिमान होता है माँ ,बहिनो को यदि गौ माँ का घी नियमित दिया जाये तो उनके शरीर मे होने वाली सारी समस्याए नष्ट हो जाती है इसलिए गाय के घी को अमृत कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है। गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है।
गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन ऑक्साइड,प्रोपिलीन ऑक्साइड,फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं। इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है,जो शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी हैं । वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षो का आधार मानते है । आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में गाय के घी की दो – दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओ में गौघृत लगाकर लेट जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।
गौघृत में मनुष्य – शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम छमता हैं । अग्नि में गाय का घी कि आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है,वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदूषण और आण्विक विकरणों से मुक्त हो जाता हैं । सबसे आश्चर्यजनक बात तो
यह है कि एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डालने से एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती हैं जो अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं हैं ।
दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है।
गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।
20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
गाय के घी की झाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें। गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मना ही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ताहै। वजन संतुलित होता है यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।
देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ठीक हो जाता है
गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
जय गौमाता
गायों की सेवा करो, रोज नवाओ शीश।
खुश होकर देंगी तुम्हें, वे लाखों आशीष।।
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बछड़े उनके जोतते, खेत और खलिया।
जिनसे पैदा हो रहे, रोटी-सब्जी-धान।।
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घास-फूस खाकर करें, दूध, दही की रेज।
इसी वजह से सज रही,मिष्ठानों की सेज।।
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गोबर करता है यहाँ, ईधन का भी काम।
गो सेवा जिसने करी, हो गये चारो धाम।।
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गो माता करतीं सदा, भव सागर से पार।
इनकी तुम सेवा करो, जीवन देंगी तार।।
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गोबर से बढ़िया नही, खाद दूसरी कोय।
डालोगे गर यूरिया, लाख बीमारी होय।।
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गो पालीं तब ही बने, कान्हा जी गोपाल।
दूध-दही से वे करें, सब को मालामाल।।
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गायों की सेवा करो, और बचाओ जान।
कान्हा आगे आयेंगे,सुख की छतरी तान।।
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बची नहीं गायें अगर, ऐसा होगा हाल।
तरसेंगे फिर दूध को,इस माटी के लाल।।
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जब भी हो अंतिम समय,करिये गैया दान।
हमको यह समझा रहे, अपने वेद पुरान।।
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!! जय गौमाता … जय गौपाला !!
Monday, December 7, 2015
कब गौ सरंक्षण करेंगे,
कृष्ण तेरी गीता,
पढ़ने की फुर्सत नहीं।
अर्जुन बन धर्मयुद्ध,
लड़ने की फुर्सत नहीं।
जो मार्गदर्शक सारथी तुझे बना,
जीवन जीना नहीं चाहते।
वही तेरे मन्दिर में आकर,
मन चाही मुरादे मांगते।
हिन्दू स्वयं को बोलते,
हिंदुत्व की परिभाषा नहीं समझते।
गौ गंगा गीता और गायत्री का,
मान नहीं रखते, सम्वर्धन नहीं करते।
कब निजधर्म को समझेंगें,
कब नियमित गायत्री जप औ गीता का स्वाध्याय करेंगे?
कब गौ सरंक्षण करेंगे,
कब माँ गंगा को निर्मल-स्वच्छ रखेंगें?तेरे राम,कृष्णा की जन्मभूमी पर अधिकार मिलेगा
आखिर कब ? हे हिन्दुओ ऐ खामोश मजाजी आपके जीने ना देगी,जब असहिष्ण नाम धर ही दिया तो दुशमनो पर कोहराम मचाओगे कब? 🔥संजय कुमार वन्देमातरम्💥
तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है।
सभी मित्रों के लिए महत्वपूर्ण है ।
क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है।
बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है। बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है.
घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े है जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है यह तुलसी.... कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगे है महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते है कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बिमारिओं पर खास प्रभाव डालती है.
वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है.
तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर होता है यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में सन्तान को खिलाने से सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है.
कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को कन्या नित्य जल अर्पण कर एक प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है सारी बाधाए दूर होती है.
यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है
नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहाँ पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपडे में बाँध कर सुबह दबा दे सम्मन की वृद्धि होगी. नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता...
[ समस्त उपाय अवश्य करें।]
असाध्य रोगों को भी जड़ से खत्म करने में सक्षम तुलसी
तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों में औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है। इसके अलावा तुलसी बलवर्ध्दक होती है तथा सिरदर्द स्मरण शक्ति, आंखों में जलन, मुंह में छाले, दमा, ज्वर, पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के रक्त व हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है। तुलसी में छोटे-छोटे रोगों से लेकर असाध्य रोगों को भी जड़ में खत्म कर देने की अद्भुत क्षमता है। इसके गुणों को जानकर और तुलसी का उचित उपयोग कर हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है। तो लीजिए डाल लेते है तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय उपयोगी एवं गुणों पर एक नजर :-
* श्वेत तुलसी बच्चों के कफ विकार, सर्दी, खांसी इत्यादि में लाभदायक है।
* कफ निवारणार्थ तुलसी को काली मिर्च पाउडर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है।
* गले में सूजन तथा गले की खराश दूर करने के लिए तुलसी के बीज का सेवन शक्कर के साथ करने से बहुत राहत मिलती।
* तुलसी के पत्तों को काली मिर्च, सौंठ तथा चीनी के साथ पानी में उबालकर पीने में खांसी, जुकाम, फ्लू और बुखार में फायदा पहुंचता है।
* पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक का रस समान मात्रा में लेने से दर्द में राहत मिलती है। इसके उपयोग से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
* कान के साधारण दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस गुनगुना करके डाले।
* नित्य प्रति तुलसी की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है।
* चर्म रोग होने पर तुलसी के पत्तों के रस के नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फायदा होता है।
* तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर में ताकत और स्मरण शक्ति में वृध्दि होती है।
* प्रसव के समय स्त्रियों को तुलसी के पत्तों का रस देन से प्रसव पीड़ा कम होती है।
* तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खिलाने से स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव बंद होता है।
* जहरीले कीड़े या सांप के काटने पर तुलसी की जड़ पीसकर काटे गए स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।
* फोड़े फुंसी आदि पर तुलसी के पत्तो का लेप लाभदायक होता है।
* तुलसी की मंजरी और अजवायन देने से चेचक का प्रभाव कम होता है।
* सफेद दाग, झाईयां, कील, मुंहासे आदि हो जाने पर तुलसी के रस में समान भाग नींबू का रस मिलाकर 24 घंट तक धूप में रखे। थोड़ा गाढ़ा होने पर चेहरे पर लगाएं। इसके नियमित प्रयोग से झाईयां, काले दाग, कीले आदि नष्ट होकर चेहरा बेदाग हो जाता है।
* तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता में वृध्दि होती है।
* तुलसी का प्रयोग मलेरिया बुखार के प्रकोप को भी कम करता है।
* तुलसी का शर्बत, अबलेह इत्यादि बनाकर पीने से मन शांत रहता है।
* आलस्य निराशा, कफ, सिरदर्द, जुकाम, खांसी, शरीर की ऐठन, अकड़न इत्यादि बीमारियों को दूर करने के लिए तुलसी की जाय का सेवन करें।
धूम्रपान का त्याग अस्थमा में बचाव
अस्थमा की संभावना को कम करने के लिये तथा उस पर नियंत्रण पाने के लिये सबसे जरूरी है धूम्रपान का त्याग। यह न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है बल्कि उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति भी इसके बुरे प्रभाव से बचे नहीं रहते। इसके अलावा अस्थमा के दौरे पर नियंत्रण के लिये किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। साफ व प्रदूषणरहित वातावरण में रहें। जिस खाद्य या पेय पदार्थ से आपको एलर्जी है, उसका सेवन न करें। पालतू पशुओं से दूरी बनाए रखें।
अच्छी नींद के लिये
नींद के प्रति सकारात्मक रवैये अधिक महत्वपूर्ण है बजाय कृत्रिम उपायों द्वारा नींद लेने के। अच्छी नींद के लिये इन उपायों पर गौर फरमाएं :-
* अनिद्रा रोग में निद्रा न आने की चिन्ता से तबीयत बिगड़ती है। आप आराम से लेटे रहिये और इस बात की चिन्ता मत कीजिए कि आपको नींद नहीं आती।
* प्रत्यन कीजिए कि सोने से पहले आप दिनभर की कठिनाइयों और आने वाले कल के बारे में न सोचें।
* कोई अच्छी पुस्तक पढ़ने का यत्न कीजिए। इससे अनिद्रा या चिन्ता संबंधी विचार एक तरफ हट जाएंगे और नींद आ जाएगी।
शहद के कुछ औषधीय प्रयोग
* शहद आंतों को शक्ति और बल प्रदान करता है। शहद का सेवन करने से आंतों में विषाक्त द्रव्य जमा नहीं होते। यह कृमियों को भी मारता है।
* पुराने रोग, पुरानी कब्ज, अतिसार तथा प्रवाहिका के लिये भी शहद उपयोगी सिध्द होता है।
* शहद के सेवन से छाती में जमा बलगम सरलता से बाहर निकल जाता है। इससे दमा व खांसी के रोगी को बहुत राहत मिलती है।
* शहद क्षय रोग में भी लाभ पहुंचाता है।
* शहद के सेवन से दिमाग तरोताजा और तंदरुस्त रहता है। शहद उन लोगों के लिए तो बहुत लाभप्रद है, जो दिमागी कार्य करते हैं।
कुछ मित्रो ने इसे अन्ध विश्वास करार दिया है सो ये उनकी सोच हो सकती है | इसमें किसी को बाध्य भी नहीं किया गया है । तुलसी की देखभाल , उपाय के बारे में जानकारी दी गई है । ये तो पुराणों में भी लिखा हुआ है कि तुलसी का महत्व क्या है । हिन्दू होकर भी अगर प्रतिकूल विचार रखते हो तो धन्य है आप ।
🌹🌹राजकुमार पटेल🌹🌹
यू.के. से आये प्रसिद्द ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अजय कुमार शर्मा का व्याख्यान
यू.के. से आये प्रसिद्द ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अजय कुमार शर्मा का व्याख्यान
स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी मे प्रज्ञा प्रवाह के सहयोग से एक पब्लिक लेक्चर का आयोजन किया गया जिसका विषय था - लर्निंग फ्रॉम मिस्टेक्स
रॉयल कॉलेज ऑफ़ सर्जरी यूनाइटेड किंगडम (UK) के डायरेक्टर डॉ. अजय कुमार शर्मा आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे कार्यक्रम की अध्यक्षता रिटायर्ड प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री वी.आर.खरे ने की
कार्यक्रम में समाजसेवी सिद्ध भाऊ , प्रमुख सचिव श्री अजीत केशरी के साथ साथ 'लेट अस टॉक किडनी' नामक ग्रुप के प्रमुख डॉक्टर्स भी शामिल हुए
कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार था :-
कार्यक्रम - पब्लिक लेक्चर
विषय - लर्निंग फ्रॉम मिस्टेक्स
दिनांक - 5 दिसम्बर 2015
स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी
आयोजक - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी एवं प्रज्ञा प्रवाह
मुख्य वक्ता - डॉ अजय कुमार शर्मा
इंग्लैंड के प्रख्यात ट्रांसप्लांट सर्जन
वर्तमान में डायरेक्टर सर्जिकल कोर्सेज, रॉयल कॉलेज ऑफ़ सर्जन्स, यू.के.
एसोसिएट डायरेक्टर, पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज इन ट्रांसप्लांटेशन, लिवरपूल यूनिवर्सिटी
78 इंटरनेशनल मेडिकल रिसर्च पेपर्स के लेखक
डॉ अजय कुमार शर्मा के व्याख्यान की प्रमुख बातें :-
मैं इंग्लैंड में एक ट्रांसप्लांट सर्जन हूँ और ट्रांसप्लांट सर्जन बनने का विचार मेरे दिमाग में तब से था जब मैंने डॉक्टर बनने के बारे में भी नहीं सोचा था मैंने एक कहानी पढ़ी थी जिसमें एक चिंपांजी का दिमाग एक इंसान को ट्रांसप्लांट कर दिया गया है ...इस कहानी से मुझे लगा कि कितना अच्छा होगा अगर मैं यही काम करने लगूं
एक और कहानी ने मुझे बहुत प्रेरित किया ....नील आर्मस्ट्रोंग की कहानी I एक बार नील आर्मस्ट्रोंग एक प्लेन उड़ा रहे थे अचानक उनके कम्युनिकेशन सिस्टम में खराबी आ गयी और उनको कोई सिग्नल नहीं मिल पा रहे थे तभी उन्हें समुद्र में कुछ हरियाली दिखाई दी जिसके सहारे वे तटक पहुँच गए ....उन्होंने कहा था जब कोई रास्ता नहीं बचता तब मदर नेचर हमें रास्ता दिखाती है I
भारत एकलौता देश हैं जहाँ साल भर खेती होती हैं यहाँ ढेर सारे प्राकृतिक संसाधन हैं फिर भी हम गरीब हैं क्या कारण है
मुझे इसका सबसे बड़ा कारण लगता है ..हमारे देश में 'नेशन प्राइड' की भावना का अभाव होना
मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इंग्लैंड जाने का मन बनाया क्योंकि मैं जानना चाहता था कि एक इस छोटे से द्वीप में ऐसा क्या है जिसकी दम पर उन्होंने पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़ी
मुझे वहां जाकर जो पहला लेसन मिला वह यहाँ था कि - हमारा कर्तव्य है कि हम हम अपने बच्चों के लिए एक बेहतर दुनिया छोड़कर जाएँ ...जो दुनिया मुझे मिली है यदि वही मैंने अपने बच्चों के लिए छोड़ी तो मैं अपनी ज़िन्दगी में असफल हो गया हूँ
किसी भी देश को अच्छा बनाते हैं वहां के सिस्टम्स - इंग्लैंड में रहते हुए मैंने एक बार इटली जाने का मन बनाया और इसके लिए अपने बच्चे के स्कूल में 7 दिन की छुट्टी का आवेदन किया ....स्कूल ने छुट्टी तो दे दी लेकिन उसके साथ जो पत्र भेजा मैं उसे देखकर दंग रह गया ...उसमें लिखा था कि आप अपने बच्चे की एक साल में अधिकतम 14 छुट्टियां ले सकते हैं यदि आपने उसे ज्यादा छुट्टियां ली तो आपके खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया जाएगा और सरकार आपके ऊपर केस चलाएगी ...यह होते हैं सिस्टम I
मैं कई सालों से यू.के. में काम कर रहा हूँ ...मैंने देखा कि वहां आपकी हर एक्टिविटी की मोनिटरिंग की जाती है इसलिए नहीं कि आपकी गलतियां पकड़ी जाएँ बल्कि इसलिए ताकि गलतियों से सीख जाये ...हमारे यहाँ 'Blame and Shame' पालिसी होती है जबकि वहां 'How to learn from errors' पालिसी से काम होता है
यदि टीम का कोई सदस्य कुछ दिन से बहुत गलतियां कर रहा है और उसका परफॉरमेंस बिगड़ रहा है तो वहां एक मीटिंग होगी ...जिसमें सभी लोग उस व्यक्ति से पूंछेंगे कि बताओ 'आपका परफॉरमेंस अच्छा करने के लिए हम क्या कर सकते हैं' भारत में ऐसा होने पर उस व्यक्ति को बुलाकर उसे सजा दे दी जाती है
अपनी पढ़ाई के दौरान मैंने भारत में हुई कुछ 'दुर्घटनाओं' की स्टडी की और पाया कि यदि सही समय पर 'बेसिक लाइफ सपोर्ट' दे दिया जाता तो हम 90% से ज्यादा मौतें कम कर सकते थे I पर भारत ने आज भी इन चीज़ों से नहीं सीखा इसलिए यहाँ किसी भी दुर्घटना के समय दुनिया से ज्यादा मौतें होती हैं
किसी भी देश को आगे बढ़ने के लिए 5 D + 1 की जरुरत होती है ये हैं - Drive, Determination, Discipline, Direction, Dedication + Democracy
मुझे ऐसा लगता है कि इस दुनिया में कोई भायशाली नहीं होता ' जो अपने काम का जितना ज्यादा अभ्यास करता है वह उतना ज्यादा भाग्यशाली बनता जाता है'